सर्दी से निवेदन
अभी ना जाओ छोड़ कर
सर्दी में ऐलान कर दिया मैं जाती हूं
गर्मी बोली खुश हो जाओ मैं आती हूं
इतनी जल्दी लगा बदलने मौसम करवट
छोटी होने लगी प्रेम की रातें नटखट
हमने बोला सर्दी रानी क्या है जल्दी
अभी-अभी तो तुम आई थी, झट से चल दी
उठा ना पाए हम,तुम्हारा मजा नहीं
अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं
हुआ रुवासा कंबल रोने लगी रजाई
इतना लंबा इंतजार करवा तुम आई
रहे साल भर हम बक्से में यूं ही सिमट कर थोड़ा सुख पाया था तुमसे लिपट चिपट कर
तुम आई तो प्यार लुटाया सब पर सच्चा
कुछ दिन और अगर रुक जाती होता अच्छा
अभी ठीक से हृदय हमारा मिला नहीं
अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं
कहा धूप में मेरी तपन सभी को चुभती
बस सर्दी में ही मैं सबको अच्छी लगती
तुम जाओगी ,लोग मुझे भी ना पूछेंगे
कोशिश होगी मुझे हटकर दूर भगेंगे
हम तुम तो बहने हैं तुम्हें वास्ता रब का
थोड़ी दिन तो प्यार मुझे पाने दो सबका
मेरे दुख की चिंता तुमको जरा नहीं
अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं
तभी गिड़गिड़ा बोल उठा गाजर का हलवा दिखता सर्दी में ही सबको मेरा जलवा
हुई रूवासी गजक ,रेवड़ी बोली रो कर
तुम जाती तो लोग भूलते हमको अक्सर
तुम रुक जाती तो ठंडा करती मौसम को
कुछ दिन तक तो स्वाद लुटाने देती हमको
जिद छोड़ो तुम, ख्याल हमारा जरा नहीं
अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं
मदन मोहन बाहेती घोटू
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