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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

बुढ़ापे की रात


देखो बूढ़े बुढ़िया कैसे रात बिताते हैं 


नींद नहीं आती है तो रह रह बतियाते हैं 


यह मत पूछो कैसे उनकी रात गुजरती है,

कोशिश करते सोने की पर सो ना पाते हैं 


एक दूजे की सभी शिकायत शिकवे जो भी है,

सभी रात को आपस में निपटाए जाते हैं 


कभी झगड़ना,गुस्साहोना और मनाना फिर ,

सोने की कोशिश करते,भरते खर्राटे है


कभी पुराने किस्से की फाइल जब खुलती है, भूली बिसरी यादों का आनंद उठाते हैं 


मन प्रपंच से हटा, भूल सब बीती बातों को, 

बीत गई सो बीत गई ,खुद को समझाते हैं


सुबह आयेगी, खुशी लायेगी, ये उम्मीद लिए,

कुछ पल को सपनों की दुनिया में खो जाते है


 देखो बूढ़े बुढ़िया कैसे रात बिताते हैं


मदन मोहन बाहेती घोटू 

कहां राहुल गांधी कहां सावरकर - कहां सिद्धांत से लडने वाला कहाँ माफी वीर

कहां राहुल गांधी कहां सावरकर - कहां सिद्धांत से लडने वाला कहाँ माफी वीर सावरकर पर सबूतों को कोर्ट में रखने का क्यों विरोध कर रहा है उनका परिवार? अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर सावरकर की वीरता के संबध में एक किस्सा अपने भाषण मे सुनाते थे कि सावरकर जहाज से समुद्र में कूद कर भागे थे।वास्तविकता यह थी कि जहाज समुद्र तट पर ईधन लेने के लिए खड़ा था तब सावरकर खिड़की कूद कर भागे और पकड लिए गए थे। जैसे कचहरियों से सिरफिरे कैदी अक्सर भागते हैं और तुरन्त पकड लिए जाते थे। उसी सावरकर को आरएसएस और बीजेपी अपना आदर्श मानते हैं। लेकिन सावरकर का परिवार पुणे कोर्ट में इस बात का विरोध कर रहा है कि कोई भी किसी भी तरह का सबूत अदालत में रखा जाये। हालांकि अब तो मशहूर पत्रकार और आरएसएस खेमे से जुड़े माने जाने वाले अरुण शौरी की नई किताब (द न्यू आइकन) ने सावरकर के तमाम रहस्यों से पर्दा उठा दिया है। लेकिन अब जब मामला आपको सावरकर के बारे में बता रहे हैं, वो अदालत से जुड़ा है और काफी दिलचस्प भी है। विनायक सावरकर के रिश्तेदार सत्यकी अशोक सावरकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सावरकर की मानहानि का मुकदमा कर रखा है। राहुल गांधी ने एक अर्जी लगाकर कहा कि इस केस को समरी ट्रालय से समन ट्रायल में बदला जाये और सावरकर के संबंध में सारे सबूत अदालत में पेश किये जाए। सत्यकी अशोक ने राहुल गांधी की इस बात का विरोध किया। यह मामला मार्च 2023 में लंदन में राहुल गांधी के चर्चित भाषण से शुरू हुआ है। जिसमें उन्होंने कथित तौर पर विनायक सावरकर के कार्यों के बारे में तमाम टिप्पणियां की थीं। राहुल ने कथित तौर पर सावरकर के लेख का हवाला दिया था, जिसमें सावरकर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमला किया था। एक ऐसी स्थिति जिसे सावरकर ने "सुखद" पाया था यानी हमला करके सावरकर खुश हुए थे। बार एंड बेंच वेबसाइट के मुताबिक सत्यकी सावरकर ने 2023 में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई, जिसमें राहुल गांधी के दावे का खंडन किया गया और कहा गया कि सावरकर से जुड़ी ऐसी किसी घटना का उनके कार्यों में उल्लेख नहीं है। राहुल ने हाल ही में मानहानि मामले में मुकदमे को समन ट्रायल में बदलने के लिए याचिका दायर की। ताकि वह अपने बयानों के समर्थन में सावरकर से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और विस्तृत सबूत रिकॉर्ड पर ला सकें। अब सत्यकि अशोक सावरकर ने राहुल गांधी की याचिका पर आपत्ति जताई है। अपने हलफनामे में सावरकर ने गांधी पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर के योगदान के बारे में अप्रासंगिक तर्क देकर मामले का ध्यान भटकाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। जवाब में कहा गया है, "आरोपी एक बार फिर जानबूझकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दामोदर सावरकर के योगदान के बारे में अप्रासंगिक तर्क देकर मामले को भटकाने की कोशिश कर रहा है। आरोपी ने कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में मुद्दे उठाए हैं, जो इस मामले के मूल विषय से अप्रासंगिक हैं।" शपथपत्र में राहुल गांधी के दावे को खारिज किया गया है कि इस मामले में तथ्य और कानून के जटिल सवाल शामिल हैं, और दावा किया गया है कि इस तरह का तर्क योग्यताहीन है। यह दावा निराधार है। उन्होंने कहा कि अदालत किसी भी तरह सावरकर के संबंध में सबूतों को रखने की अनुमति न दे। सत्यकी अशोक सावरकर ने इस बात पर जोर दिया है कि आरोपी यह निर्देश नहीं दे सकता कि अदालत को किस तरह से मुकदमा चलाना चाहिए। सावरकर के वकील ने मामले को बिना किसी देरी के तुरंत आगे बढ़ने देने के महत्व पर भी जोर दिया। अपने जवाब में, सत्यकी सावरकर ने राहुल गांधी की उन टिप्पणियों को याद दिलाया जो उन्होंने समय-समय पर सावरकर पर की हैं। अदालत को यह भी बताया गया कि किस तरह राहुल गांधी को मानहानि के मामले में सजा हो चुकी है। सावरकर के जवाब में गांधी द्वारा अपने कार्यों को सही ठहराने के लिए ऐतिहासिक संदर्भों के इस्तेमाल को भी चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह के तर्क केवल मुकदमे में देरी करने की एक रणनीति है। जवाब में कहा गया है, "इस भाषण का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है, और इस तरह का तर्क केवल मामले को लंबा खींचने की एक रणनीति है।" सावरकर ने राहुल गांधी की अपनी टिप्पणियों को सही ठहराने के लिए ऐतिहासिक संदर्भों के इस्तेमाल को भी चुनौती दी गई है। जिसमें कहा गया है कि इस तरह के तर्क केवल मुकदमे में देरी करने की एक रणनीति है। जवाब में कहा गया है, "इस भाषण का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है, और इस तरह का तर्क केवल मामले को लंबा खींचने की एक रणनीति है।" सावरकर के वकील ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह मुकदमे की प्रकृति बदलने के लिए गांधी के आवेदन को खारिज कर दे और मामले को उसके प्रारंभिक चरणों से आगे बढ़ने दे। पुणे की अदालत मानहानि मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को करेगी।
आएगा एक दिन सबका अंत 

थम जाएगा यूं ही अचानक सांसों का यह तंत्र

कोई भाग्यवान जो जन्मा,बन कर के श्रीमंत

कोई दुखी गरीब बिचारा ,पीड़ा पाई अनंत 

सबने सारे मौसम देखे ,गर्मी ,शीत, बसंत 

तेरे अपने साथ तभी तक,जब तक तू जीवंत 

मरने पर ना पास रखेंगे, देंगे फूंक तुरंत 

अंतिम सबकी यही गति है, राजा हो या संत

 साथ जाएंगे कर्म ,किए हैं जो जीवन पर्यंत

 सबसे करके प्रेम लूट ले जीवन का आनंद

 आएगा एक दिन सबका अंत

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

क्या करना है बुढ़ापे में 


 तब, जब मैं अपनी जवानी के चरम में था 

मोह माया के भरम में था 

चाहता था कमाना खूब पैसा 

कमाई की धुन में रहता था हमेशा 

व्यस्तताएं इतनी थी दिनभर 

फुर्सत नहीं मिल पाती थी पल भर 

परिवार और गृहस्थी की जिम्मेदारी 

नौकरी और दफ्तर की मारामारी 

सुबह से शाम 

बस काम ही काम 

बस एक ही धुन थी बहुत सारा पैसा कमा कर एश करूंगा बुढ़ापे में जाकर 

तब मैं सोचा करता था भगवान ऐसे दिन कब देख पाऊंगा 

जब पूरे दिन भर अपनी मर्जी से आराम से सो पाऊंगा 

अपनी मर्जी से जिऊंगा 

 खाऊंगा ,पिऊंगा 

आखिर भगवान ने मेरी सुन ली मेरा सपना सच हो गया 

और एक दिन में रिटायर हो गया 


अब दिन भर निठल्ले बैठा रहता हूं 

बेमतलब इकल्ले बैठा रहता हूं 

नहीं करना कोई काम धाम 

दिन भर बस आराम नहीं आराम 

टीवी पर देखते रहो मनचाही पिक्चर 

या फिर बिस्तर पर पड़े रहो दिन भर 

न नौकरी की भागा दौड़ी न बॉस की चमचागिरी दिनभर एकदम फ्री 

वैसे तो पूरा हो गया मेरा जवानी का स्वपन 

पर अब मुझे कचोटता है  एकाकीपन 

आज मुझे इस बात आ गया है ज्ञान 

कि बिना काम किये जीना नहीं आसान 

बुढ़ापे में आकर बात यह मैंने जानी 

निठल्ला जीवन काटने में होती है बड़ी परेशानी

आज मेरे पास पैसा है बहुत सारा 

पर मैं इंजॉय नहीं कर पा रहा हूं मैं बेचारा 

ठीक से रहती सेहत नहीं है 

बदन में बची हिम्मत नहीं है 

बिमारियों ने घेर रखा है 

अपनो ने मुंह फेर रखा है 

आप जाकर की यह बात मेरी समझ में आई एंजॉय करते रहो अपनी कमाई 

बचत उतनी ही अच्छी के हो सके आराम से बुढ़ापा गुजारना 

किसी के आगे हाथ ना पड़े पसारना 

तो मेरे मित्रों मेरा अनुभव यह बताता है 

बचत का पैसा ज्यादा भी हो तो बुढ़ापे में सताता है 

छुपा कर रखो तो डूब जाएगा 

वरना मरने के बाद बच्चों में झगड़े करवाएगा 

ऐसी नौबत को जीते जी काट दो

जिसको जो देना है पहले ही बांट दो

बुढ़ापे में माया से ज्यादा मोहब्बत मत करो 

थोड़ी दीन दुखियों की सेवा कर  पुण्य की गठरी भरो

प्रभु नाम का स्मरण दिन रात करो 

चैन से जियो और चैन से मरो 


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

आओ हम तुम चले प्रयाग 
एक डुबकी संगम में ले ले, धन्य हमारे भाग 

एक सौ चुम्मालिस वर्षों में आया यह संजोग 
महाकुंभ का लाभ उठाने पहुंचे कितने लोग

 कितने सारे साधु बाबा योगी और महंत 
कई अखाड़े मंडलेश्वर के, एकत्रित सब संत

 बड़े-बड़े भंडारे चलते, कथा ,यज्ञ ,उपदेश 
इस अवसर का लाभ उठाने पहुंचा पूरा देश 

उमड़ रही है भीड़ कर रहे हैं सब गंगा स्नान 
उठा रहे हैं परेशानियां, नहीं रहे पर मान

एक डुबकी में पुण्य कमाते और धो रहे पाप 
इस मौके से फिर क्यों वंचित रहते मै और आप

दिखा रहे हैं धर्म सनातन के प्रति निजअनुराग 
हर हिंदू में ,धर्म आस्था ,आज गई है जाग

 आओ हम तुम चले प्रयाग 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

84 वें जन्मदिन पर 

कोई निशा अमावस सी थी 
कोई रात थी पूरनमासी 
जैसे तैसे ,एक-एक करके,
 कटे उमर के बरस तिर्यासी 

टेढ़ा मेढ़ा जीवन पथ था,
कई मोड़ थे ,चौड़े ,सकड़े 
मैंने पार किया सब रस्ता,
बस धीरज की उंगली पकड़े 
मिला साथ कितने अपनों का 
कई दोस्त तो दुश्मन भी थे 
कभी धूप, तूफान , बारिशे ,
तो बासंती मौसम भी थे 
महानगर की चमक दमक में
 भटका नहीं ग्राम का वासी
जैसे जैसे ,एक-एक करके 
कटे उमर के बरस तिर्यासी 

हंसते गाते बचपन बीता,
 बीती करते काम, जवानी 
अब निश्चिंत,जी रहे जीवन ,
आया बुढ़ापा, उम्र सुहानी 
बाकी ,कुछ ही दिन जीवन के 
उम्र जनित, पीड़ाएं सहते 
लिखा नियति का भोग रहे हैं 
फिर भी हम मुस्कुराते रहते 
जैसे भी कट जाए ,काट लो ,
भेद ये गहरा ,बात जरा सी 
जैसे तैसे, एक-एक करके 
कटे उम्र के बरस तिर्यासी 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

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शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

सर्दी से निवेदन 

अभी ना जाओ छोड़ कर 


सर्दी में ऐलान कर दिया मैं जाती हूं 

गर्मी बोली खुश हो जाओ मैं आती हूं 

इतनी जल्दी लगा बदलने मौसम करवट 

छोटी होने लगी प्रेम की रातें नटखट 

हमने बोला सर्दी रानी क्या है जल्दी

अभी-अभी तो तुम आई थी, झट से चल दी

 उठा ना पाए हम,तुम्हारा मजा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


 हुआ रुवासा कंबल रोने लगी रजाई 

इतना लंबा इंतजार करवा तुम आई 

रहे साल भर हम बक्से में यूं ही सिमट कर थोड़ा सुख पाया था तुमसे लिपट चिपट कर 

तुम आई तो प्यार लुटाया सब पर सच्चा 

कुछ दिन और अगर रुक जाती होता अच्छा 

 अभी ठीक से हृदय हमारा मिला नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं 


कहा धूप में मेरी तपन सभी को चुभती 

बस सर्दी में ही मैं सबको अच्छी लगती 

तुम जाओगी ,लोग मुझे भी ना पूछेंगे 

कोशिश होगी मुझे हटकर दूर भगेंगे 

हम तुम तो बहने हैं तुम्हें वास्ता रब का 

थोड़ी दिन तो प्यार मुझे पाने दो सबका 

मेरे दुख  की चिंता तुमको जरा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


तभी गिड़गिड़ा बोल उठा गाजर का हलवा दिखता सर्दी में ही सबको मेरा जलवा 

हुई रूवासी गजक ,रेवड़ी बोली रो कर 

तुम जाती तो लोग भूलते हमको अक्सर 

तुम रुक जाती तो ठंडा करती मौसम को 

कुछ दिन तक तो स्वाद लुटाने देती हमको 

जिद छोड़ो तुम, ख्याल हमारा जरा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

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