यह दिल्ली की सर्दी है
जुल्मी और बेदर्दी है
चुभती सर्द हवाओं ने ,
हालत पतली कर दी है
तड़फाती है शीतलहर
कोहरा भी ढा रहा कहर
हाथ न सूझे हाथों को
नींद ना आती रातों को
गिरती बर्फ पहाड़ों में
दिल्ली कांपे जाड़ों में
है प्रचंड सर्दी पड़ती
सितम ठंड ढाने लगती
सूरज ने हड़ताल करी
और धूप है डरी डरी
इतनी ज्यादा ठिठुरन है
थरथर कांप रहा तन है
शाल ,स्वेटर ,कार्डिगन
इससे बचने के साधन
लोग अलाव जलाते हैं
थोड़ी राहत पाते हैं
मत निकलो घर से बाहर
दुबक रहो ,ओढ़ो कंबल
गरम पकोड़े तलवाओ
गाजर का हलवा खाओ
गर्म चाय के प्याले ने,
थोड़ी उर्जा भर दी है
यह दिल्ली की सर्दी है
जुल्मी और बेदर्दी है
मदन मोहन बाहेती घोटू
वाह. बहुत खूब
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