आती है मां याद तुम्हारी
स्नेह उमड़ता था आंखों से,
तुम ममता की मूरत प्यारी
आती है मां ,याद तुम्हारी
हमने पकड़ तुम्हारी उंगली ,
धीरे धीरे चलना सीखा
आत्मीयता और प्रेम भाव से,
सब से मिलना जुलना सीखा
सदाचार, सन्मान बड़ों का ,
और छोटो पर प्यार लुटाना
मुश्किल और परेशानी में ,
हरदम काम किसी के आना
तुम्हारी शिक्षा दिक्षा से ,
झोली भर ली संस्कार की
सत्पथ पर चलना सिखलाया
मूरत थी तुम सदाचार की
संस्कृती का ज्ञान कराकर
तुमने सब की बुद्धि संवारी
आती है मां याद तुम्हारी
भाई बहन और परिवार को ,
एक सूत्र में रखा बांधकर
अब भी अनुशासन में रहते
हैं हम सब ही,तुम्हें याद कर
जीवन जिया स्वाभिमान से
हमको भी जीना सिखलाया
ईश्वर के प्रति श्रद्धा भक्ति
धर्म ज्ञान तुमने करवाया
रीति रिवाज पुराने जिंदा
तुमने रखे, पालते हैं हम
चल तुम्हारे चरण चिन्ह पर,
आज जी रहे सुखमय जीवन
तुम्हारे ही आदर्शों ने
हमें बनाया है संस्कारी
आती है मां याद तुम्हारी
माता तुम वात्सल्य मूर्ति थी
नयनों में था नेह उमड़ता
दिखने में थी भोली-भाली ,
किंतु विचारों में थी दृढ़ता
तुमने हमें सिखाई नेकी ,
धीरज और विवेक सिखाया
परोपकार का पाठ पढ़ा कर
एक भला इंसान बनाया
सदा प्रेरणा देती रहती
आती रहती याद हमें तुम
अब भी दूर स्वर्ग में बैठी
देती आशीर्वाद हमें तुम
तुम्हारे पद चिन्हों पर चल
जीवन आज हुआ सुखकारी
आती है मैं याद तुम्हारी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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