एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 17 अगस्त 2020

दसवां रस

रसीली आँखे हमे लुभाती है
रसीले अधर हमे ललचाते है
हम सब रसिक हृदयवाले है ,
रूप रस में डूबे चले जाते है
नवरसों के जाल में हमने
जिंदगी को उलझा कर रखा है  
पर उस दसवें रस की बात नहीं करते ,
जिसे हम रोज करते चखा है
जिसके बिना जिंदगी फीकी है ,
नीरस है  बेमानी है
वो रस जो आँखों में चमक
 और मुंह में लाता पानी है
वो रस जिसमे मधुरता है ,मिठास है
वो रस जो  हमारी जिंदगी में ख़ास है
वो रस जिसके लिए हमेशा ,
मन में दीवानगी रहती बनी है
जिव्हा को तृप्त करता वह रस चासनी है
ये चासनी वाला रस ,सबको सुहाता है
बेसन की बूंदियों को मोतीचूर बनाता है
टेढ़ीमेढ़ी जलेबी ,तले हुए खमीर का
एक फीका सा जाल है
पर ये रस ,जब उसकी आत्मा में प्रवेश होता है ,
तो कर देता कमाल है
उसे रसभरी ,स्वादिष्ट ,लज़ीज
मनमोहिनी जलेबी बना देता है
हर कोई रीझ जाए ,इतना स्वाद ला देता है
चासनी रुपी यह रस गजब करता है
इमरती में अमृत भरता है
गुलाबी रंग के गोलगोल गुलाबजामुन ,
जब चासनी में अठखेलियां करते नज़र आते है
कितनो के ही मुंह में पानी भर लाते है
फटे हुए दूध की गोलियां, जब इसमें स्नान करती है
तो उनके रूप और स्वाद की गरिमा निखरती है
इस रस को पीकर इतनी इठलाती है
कि स्वाद भरा रसगुल्ला बन जाती है
चमचम कहो या राजभोग
चाहने लगते  है सब लोग
मैदे की तली हुई बाटी ,
जब इस रस में रम जाती है
शहंशाही अंदाज से बालूशाही कहलाती है
खोखले जालीदार घेवर
इस रस को पीकर ,दिखलाने लगते है तेवर
रसभीने मालपुवे ,कमाल के नज़र आते है
सबके मन को ललचाते है
शकर को पानी में गला ,
प्यार की ऊष्मा से बनाई गयी ये चाशनी
होती है स्वाद की धनी
खुशबू और रंग मिलालो शर्बत बन जाती है
गर्मी में गले को तर करती हुई ठंडक लाती है
दुनिया के सारे रस
इस रस के आगे है बेबस
क्योंकि जो तृप्ति और स्वाद इसमें आता है
अन्यत्र कही नहीं पाया जाता है
चासनी महान है
मिष्ठानो की जान है
हे रसीली ,मुंह में पानी लाती हुई सुंदरी ,
तुम्हे रसिक रसप्रेमी 'घोटू' का प्रणाम है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-