एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 17 अगस्त 2020

नयी पीढ़ी का पुरानी पीढ़ी को सन्देश

ये दादा दादी भी अजीब चीज होते है
बार बार हमें ये अहसास दिलाते रहते है ,
कि हम उनके पोती या पोते है
जब हम छोटे थे ,उन्होंने हमारे वास्ते ,
ये किया था ,वो किया था दम  भरते है
बार बार हमें अपना अपनापन दिखा कर ,
भावात्मक रूप से 'एक्सप्लॉइट 'करते है
जब कभी मिलते है ,'सेंटीमेंटल 'हो जाते है
हमें छोटा सा बच्चा समझ कर प्यार जताते है
अरे भाई माना कि परिवार में सबसे बुजुर्ग आप है
आप हमारे बाप के भी बाप है
हमारे बचपन में आपने हमें संभाला था ,
खिलाया था ,हमारे नखरे उठाये थे
हमारे लिए आप घोड़े बने थे
और रहते घंटों गोदी में उठाये थे
ठीक है आपने बहुत कुछ किया ,
पर उस समय ये आपका फर्ज बनता था
जो आपने प्रेम से निभाया था
पर हमारी प्यारी प्यारी बचपन की
हरकतों का सुख भी तो आपने ही  उठाया था
ऐसा कोई बड़ा अहसान भी तो नहीं किया था ,
ये तो हर दादा दादी करते है और करते आ रहे है
आप ये क्यों भूल जाते है कि ये हम ही तो है ,
जो आपकी वंशबेल को आगे बढ़ा रहे है
अब हम बढे हो गए है ,समझदार हो गए है
और  हम अपने दिल की मानते है
हमे क्या करना है और क्या नहीं करना है
,ये हम अच्छी तरह जानते है
और आप चाहते है कि हम उसी रास्ते पर चले ,
जिस पर आप चलते आये उम्र भर है
तो ये तो हो नहीं सकता क्योंकि ,आपकी
और हमारी सोच में ,पीढ़ियों का अंतर् है
जमाना कहाँ  से कहाँ पंहुच गया है और
आप वही पुराने ढर्रे पर अटके हुए है
और हमारे आधुनिक विचारों पर ,
हमे कहते कि हम भटके हुए है
आप तो बड़े धार्मिक है और करते रहते है
भगवान कृष्ण की लीलाओं का गुणगान
बचपन में नन्द यशोदा ने उनपर कितना
प्यार लुटाया था ,अपना बेटा मान
पर बड़े होकर जब हो मथुरा गए ,
तो क्या रखा था नन्द यशोदा का ज़रा भी ध्यान
तो ये तो दुनिया की रीत है ,चक्र है ,
ऐसा ही चलता है और चलता ही रहेगा
आज की पीढ़ी का व्यवहार देख ,
पुरानी पीढ़ी का दिल जलता ही रहेगा
तो दादा दादी प्लीज ,जितनी भी जिंदगी बची है ,
अपने ढंग से आराम से बिताओ
हम पर अपने विचार मत थोंपो और
हमे 'सेंटिमेंटली एक्सप्लॉइट 'कर ,
अपना जिया मत जलाओ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-