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बुधवार, 10 जून 2020

कब लौटेगी जिंदगी ढर्रे पे

फैल रही बेचैनी, जर्रे जर्रे पे
कब लौटेगी यार जिंदगी ढर्रे पे

घबराहट से भरा हुआ माहौल है
सभी व्यवस्थायें अब डांवाडोल है
आम आदमी बुरी तरह घबराया है
सभी तरफ एक सन्नाटा सा छाया है
हालत बिगड़ी हुई बहुत बाज़ारों की
अस्पताल में भीड़ लगी ,बीमारों की
कोरोना का कोप इस तरह फैल रहा
हर परिवार, दंश है इसके झेल रहा
है सबके मुख बंद ,बंध रहा पट्टा है
बैठा हुआ देश का  अपने  भट्टा  है
दुःख के बादल ,छाये गाँव मुहल्ले पे
कब लौटेगी यार  जिंदगी  ढर्रे पे

बहुत ढीठ ये कीट कोरोना वाइरस है
जिसके आगे सारी दुनिया बेबस है
दो हज़ार और बीस पड़ रहा भारी है
पटरी से उतरी विकास की गाडी है
इतने है प्रतिबंध ,लोग है मुश्किल में
बार बार भूकंप ,ख़ौफ़ लाते दिल में
सीमा पर दुश्मन संग गहमागहमी है
सागर तट ,तूफानों की बेरहमी  है
डरे हुए सब,फैली मन में दहशत ये
 कब छोड़ेगी ,पिंड हमारा,आफत ये
कब बरसेगी ,फिर से ख़ुशी धड़ल्ले से
कब लौटेगी  यार जिंदगी ढर्रे पे

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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