ऐसा लगता जैसे ....
ऐसा लगता जैसे बातें हो कल की
तुम आई थी ,पहन गुलाबी सा जोड़ा
शर्मीली सी,सकुचाती , थोड़ा ,थोड़ा
मैंने भाव विभोर उठाया था घूंघट ,
भूले नहीं भुलाती यादें उस पल की
ऐसा लगता जैसे बातें हो कल की
मिले नयन से नयन ,हमारा हुआ मिलन
धीरे धीरे लगा महकने ये गुलशन
फूल खिले दो ,प्यारे प्यारे सुंदर से,
विकसे ,पाकर छाँव तुम्हारे आंचल की
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
पाला पोसा ,पढ़ा लिखा क्र बड़ा किया
उन दोनों को अपने पैरों खड़ा किया
बिदा किया बेटी को पीले हाथ किये ,
बेटे को भी बहू मिल गई सुन्दर सी
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
बेटा प्रगतिशील,बहू थी आधुनिका
सोच हमारी में पीढ़ी का अंतर था
करी तरक्की ,बेटा बहू ,विदेश बसे,
तनहाई में ,आँख हमारी थी छलकी
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
सबने अपनी दुनिया अलग बसाई है
अब हम दो है और साथ तनहाई है
हम एकाकी ,बचे खुचे दिन काट रहे ,
फिर भी ,आँखें ,आस लगाये ,पागल सी
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
बुझी बुझी सी आँखे , सूना सा आंगन
रह रह कर चुभता हमको एकाकीपन
इसीलिए क्या यौवन था कुरबान किया ,
सपने में भी ,न थी कल्पना इस पल की
एसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
ऐसा लगता जैसे बातें हो कल की
तुम आई थी ,पहन गुलाबी सा जोड़ा
शर्मीली सी,सकुचाती , थोड़ा ,थोड़ा
मैंने भाव विभोर उठाया था घूंघट ,
भूले नहीं भुलाती यादें उस पल की
ऐसा लगता जैसे बातें हो कल की
मिले नयन से नयन ,हमारा हुआ मिलन
धीरे धीरे लगा महकने ये गुलशन
फूल खिले दो ,प्यारे प्यारे सुंदर से,
विकसे ,पाकर छाँव तुम्हारे आंचल की
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
पाला पोसा ,पढ़ा लिखा क्र बड़ा किया
उन दोनों को अपने पैरों खड़ा किया
बिदा किया बेटी को पीले हाथ किये ,
बेटे को भी बहू मिल गई सुन्दर सी
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
बेटा प्रगतिशील,बहू थी आधुनिका
सोच हमारी में पीढ़ी का अंतर था
करी तरक्की ,बेटा बहू ,विदेश बसे,
तनहाई में ,आँख हमारी थी छलकी
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
सबने अपनी दुनिया अलग बसाई है
अब हम दो है और साथ तनहाई है
हम एकाकी ,बचे खुचे दिन काट रहे ,
फिर भी ,आँखें ,आस लगाये ,पागल सी
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
बुझी बुझी सी आँखे , सूना सा आंगन
रह रह कर चुभता हमको एकाकीपन
इसीलिए क्या यौवन था कुरबान किया ,
सपने में भी ,न थी कल्पना इस पल की
एसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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