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शुक्रवार, 13 मई 2016

कल बीबी बिमार पड़ गयी

कल बीबी बिमार   पड़ गयी

पल पल चिंता,पग पग मुश्किल,
परेशानियां खूब बढ़ गयी
कल बीबी बिमार पड़ गयी
उलट पुलट हो गयी जिंदगी ,अस्त व्यस्त घरबार हो गया
घर का जमा जमाया सिस्टम,एक दिन में बेकार हो गया
क्या  खाना है,क्या पीना है ,कहाँ ,किधर है कपड़े ,लत्ते
दूध  मंगाना ,चाय  बनाना ,सभी  पड़ गया ,मेरे  मथ्थे
उस पर दूना हुआ सितम  ये ,महरी भी छुट्टी कर बैठी
 ये कर लो तुम,ऐसे कर लो ,रही बताती ,लेटी  लेटी
उसमे हिम्मत ,नहीं जरा थी ,इतनी थी ,कमजोरी आई
किन्तु बीच में ,उठ उठ उसने ,कई समस्याएं सुलझाई
सारे काम किया करती थी ,दौड़ दौड़ कर ,जो हंस हंस कर
उसका सारा ही दिन बीता ,सोते सोते, टसक टसक कर  
एक दिवस में ,उसका खिलता , फूलों सा चेहरा मुरझाया
 रौनक सारी ,खतम हो गई,और  घर में सूनापन  छाया
एक दिवस में ,पता लग गयी,बीबीजी की हमें अहमियत
उन्हें दवा  दी,ज्यूस पिलाया ,जल्दी से हो, ठीक तबियत
हुई बीमार सी ,मेरी हालत,  जिम्मेदारी बहुत बढ़ गयी
कल  बीबी बिमार पड़ गयी 

'घोटू'

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