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बुधवार, 6 अप्रैल 2016

गूगल पर सब कुछ मिल जाता

       गूगल पर सब कुछ मिल जाता

गूगल पर सब कुछ मिल जाता ,बस माँ बाप नहीं मिलते है
 आशीषों  की  वर्षा  करते  ,     बस वो हाथ नहीं   मिलते है
जानकारियां दुनिया भर की ,बटन दबाते, मिल जाती है
'गूगल अर्थ 'खोल कर देखो ,सारी  दुनिया  दिख जाती है
खोल 'फेसबुक',यार दोस्त से ,जितनी चाहो,बातें करलो
और 'ट्विटर' पर ,मन की बातें ,सारी कह,जी हल्का करलो
शादी का 'पोर्टल' खोलो तो ,ढूढ़ सकोगे  दूल्हा, दुल्हन
'स्काइप' पर ,साथ बात के ,कर सकते हो,उनका दर्शन
घर बैठे ही,दुनिया भर की ,शॉपिंग करना अब मुमकिन है
 जिसको चाहो,लाइन मारो ,सब कुछ यहाँ 'ऑन लाइन' है
पर दिल का अंदरूनी रिश्ता ,और जज्बात नहीं मिलते है
गूगल पर सब कुछ मिल जाता ,बस माँ बाप नहीं मिलते है
अब 'ई मेल' लिखी  जाती है ,प्रेम पत्र कर गए पलायन
दुनिया भर की ,हर घटना का ,होता है 'लाइव' प्रसारण
टिकिट सिनेमा,रेल,प्लेन के ,बुक हो जाते ,सभी यहाँ है
'जी पी एस' बता देता है ,मौजूद बन्दा ,कौन , कहाँ  है  
'व्हाट्स ऐप' पर,अपने ग्रुप की, सारी बातें ,करलो शेयर
अपने फोटो ,सेल्फी भेजो, बस लगता है ,केवल  पलभर
हर पेपर की,हर चैनल की,सारी  खबरें ,मिल जाती है
'लाइव क्रिकेट ''मैच देख कर,सबकी तबीयत खिल जाती है  
हो जाता  दीदार  आपका ,लेकिन  आप  नहीं  मिलते है
गूगल पर सबकुछ मिल जाता,बीएस माँ बाप ,नहीं मिलते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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