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बुधवार, 20 अप्रैल 2016

शादी के बाद-चार चित्र

  शादी के बाद-चार चित्र 

शादी के बाद ,
प्यार का आहार  पाकर
जब काया छरहरी
होती है हरी भरी
फूलती फलती है
तो ,तब बड़ी अखरती है
जब सगाई की अंगूठी ,
ऊँगली में आने से ,इंकार करती है

शादी के पहले ,
स्वच्छ्न्द उड़ने वाले पंछी,
शादी के बाद ,जब बनाते है घोंसले
तो जिम्मेदारी के बोझ से ,
पस्त  हो जाते है  उनके होंसले
वो भूल जाते है सारे चोंचले

एक नाजुक सी दुल्हन
जब अपने फूलों से कोमल हाथों से ,
 सानती  है आटा ,
या मांजती है बरतन
अपना सारा हुस्न और नज़ाकत भूल ,
बन जाती है पूरी गृहस्थन

गरम गरम तवे पर  ,
 रोटी सेकते सेकते,
जब गलती से ,नाजुक उँगलियाँ,
तवे से चिपक जाती है
तो मम्मीजी की ,बड़ी याद आती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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