अब सौंप दिया इस जीवन का …
पेरोडी
अब सौंप दिया इस जीवन का ,सब भार तुम्हारे हाथो में
जब से डाला है वरमाला का हार तुम्हारे हाथो ने
मेरा निश्चय था एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊं मैं ,
आ जाएगा फिर इस घर का ,सब माल हमारे हाथों में
इस घर में रहूँ तो ऐसे रहूँ,कुछ काम धाम करना न पड़े ,
बर्तन हो ननद के हाथो मेऔर झाड़ू सास के हाथों में
जब जब भी मुझको जन्म मिले,तो इस घर की ही बहू बनूँ,
हो घर की तिजोरी की चाबी,हर बार हमारे हाथों में
जब तक तुम करते काम रहो,मैं मौज करू,आराम करू,
तुम पीछे से धक्का मारो,हो कार हमारे हाथों में
तुम में मुझ में है फर्क यही ,तुम नर हो और मैं नारी हूँ ,
तुम कठपुतली बन कर नाचो,हो तार तुम्हारे हाथो में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पेरोडी
अब सौंप दिया इस जीवन का ,सब भार तुम्हारे हाथो में
जब से डाला है वरमाला का हार तुम्हारे हाथो ने
मेरा निश्चय था एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊं मैं ,
आ जाएगा फिर इस घर का ,सब माल हमारे हाथों में
इस घर में रहूँ तो ऐसे रहूँ,कुछ काम धाम करना न पड़े ,
बर्तन हो ननद के हाथो मेऔर झाड़ू सास के हाथों में
जब जब भी मुझको जन्म मिले,तो इस घर की ही बहू बनूँ,
हो घर की तिजोरी की चाबी,हर बार हमारे हाथों में
जब तक तुम करते काम रहो,मैं मौज करू,आराम करू,
तुम पीछे से धक्का मारो,हो कार हमारे हाथों में
तुम में मुझ में है फर्क यही ,तुम नर हो और मैं नारी हूँ ,
तुम कठपुतली बन कर नाचो,हो तार तुम्हारे हाथो में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
इस भजन का मूल लेखक कोन है
जवाब देंहटाएंसंवित स्वामी ईश्वरानंद गिरी जी महाराज
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