पन्ना
१
पन्ना पन्ना जुड़ता तो किताब बना करती है
पन्ना जड़ता ,अंगूठी ,नायाब बना करती है
कच्ची अमिया भी उबल कर,मसालों के साथ में,
आम का पन्ना ,बड़ा ही स्वाद बना करती है
२
प्यार की अपनी बिरासत ,चाहता था सौंपना
भटकता संसार में,मैं रहा पागल अनमना
जिसको देखा,व्यस्त पाया ,अपने अपने स्वार्थ में ,
ढूँढता ही रह गया ,पर मिला ना अपनापना
घोटू
१
पन्ना पन्ना जुड़ता तो किताब बना करती है
पन्ना जड़ता ,अंगूठी ,नायाब बना करती है
कच्ची अमिया भी उबल कर,मसालों के साथ में,
आम का पन्ना ,बड़ा ही स्वाद बना करती है
२
प्यार की अपनी बिरासत ,चाहता था सौंपना
भटकता संसार में,मैं रहा पागल अनमना
जिसको देखा,व्यस्त पाया ,अपने अपने स्वार्थ में ,
ढूँढता ही रह गया ,पर मिला ना अपनापना
घोटू
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