दिल्ली -वाणी
गया मौसम चुनावों का,सर्दियाँ हो गयी कम है
कट गया माया का पत्ता, हुई सत्ता मुलायम है
चैन की ली सांस सबने,लोग थोडा मुस्कराये
फाग आया,जिंदगी में,रंग होली ने लगाये
देख लोगों को विहँसता, केंद्र से आवाज़ आई
पांच रूपया ,पेट्रोल के ,दाम बढ़ने को है भाई
झेल भी लोगे इसे तुम,भूल कर के मुस्कराना
याद रखना ,पांच दिन में,बजट भी है हमें लाना
बोझ मंहगाई का इतना,हम सभी पर लाद देंगे
किया तुमने दुखी हमको,दुखी हम तुमको करेंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सदा रहे उपलब्ध वही मन
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सदा रहे उपलब्ध वही मन यादों का इक बोझ उठाये मन धीरे-धीरे बढ़ता है, भय आने
वाले कल का भर ऊँचे वृक्षों पर चढ़ता है !वृक्ष विचारों के ही गढ़ताभीति भी
केवल एक ...
23 घंटे पहले
दुख का लेने-देना जम गया।
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य।
क्या कहें ..अब न जाने कौन सी गाज गिरेगी
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य
अभी महंगाई बढ़ना थोडा मुश्किल होगा...चुनाव नतीजों का कुछ तो असर होगा !
जवाब देंहटाएंझेलना है सब तुझे ,रोता है क्या
जवाब देंहटाएंआगे आगे देखिये, होता है क्या