लालची लड़कियां
कुछ लड़कियां
रंगबिरंगी तितलियों सी मदमाती है
भीनी भीनी खुशबू से ललचाती है
उड़ उड़ कर पुष्पों पर मंडराती है
बार बार पुष्पों का रस पीती है
रस की लोभी है,मस्ती से जीती है
कुछ लड़कियां,
कल कल करती नदिया सी,
खारे से समंदर से भी,
मिलने को दौड़ी चली जाती है
क्योंकि समंदर,
तो है रत्नाकर,
उसके मंथन से,रतन जो पाती है
कुछ लड़कियां,
पानी की बूंदों सी,
काले काले बादल का संग छोड़,
इठलाती,नाचती है हवा में
धरती से मिलने का सुख पाने
और धरती की बाहों में जाती है समा
क्योंकि धरा,होती है रत्नगर्भा
ये लड़कियां,
खुशबू और रत्नों के सपने ही संजोती है
इतनी लालची क्यों होती है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
ऊपर-नीचे जग है क्रीड़ा
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ऊपर-नीचे जग है क्रीड़ागहराई में जाकर देखें एक धरा से उपजे हैं सब, ऊँचाई पर
बैठ निहारें सूक्ष्म हुए से खो जाते तब !रहे धरा पर उसको पीड़ा ऊपर-नीचे जग
है क्र...
5 घंटे पहले
bahut khub.
जवाब देंहटाएंBAHUT KHUB.
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