चिक
मेरे शयनकक्ष में,रोज धूप आती थी
सर्दी में सुहाती थी
गर्मी में सताती थी
अब मैंने एक चिक लगवाली है
और धूप से मनचाही निज़ात पा ली है
समय के अनुरूप
वासना की धूप
जब मेरे संयम की चिक की दीवार से टकराती है
कभी हार जाती है
कभी जीत जाती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अब साइलेंट हो गया साइबर फ़्रॉड
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साइबर अपराधी रोज पैसे ठगने का नया तरीका निकाल रहे हैँ. अब स्कैम करने का नया
तरीका सामने आया है. अब इसके लिए उन्हें ओटीपी या मैसेज और न ही कोई लिंक की
भ...
4 घंटे पहले
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