भूख लिखूँ
गरीबी लिखूँ
और ये बेकारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
जनता की हर लाचारी लिखूँ |
घपले लिखूँ
घोटाले लिखूँ
चल सारी मक्कारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
नेताओ की हर गद्दारी लिखूँ |
दुआ लिखूँ
दवा लिखूँ
या इसे नाइलाज बीमारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
देश के लिए अपनी ज़िम्मेदारी लिखूँ |
शांति लिखूँ
क्रांति लिखूँ
'विधु'कलम संग कटारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,
हर मन की दहकती चिंगारी लिखूँ |
गरीबी लिखूँ
और ये बेकारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
जनता की हर लाचारी लिखूँ |
घपले लिखूँ
घोटाले लिखूँ
चल सारी मक्कारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
नेताओ की हर गद्दारी लिखूँ |
दुआ लिखूँ
दवा लिखूँ
या इसे नाइलाज बीमारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
देश के लिए अपनी ज़िम्मेदारी लिखूँ |
शांति लिखूँ
क्रांति लिखूँ
'विधु'कलम संग कटारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,
हर मन की दहकती चिंगारी लिखूँ |
रचनाकार-विशाखा 'विधु'
मेरठ, ऊ.प्र.
बहुत ही जानदार रचना | इस रचना के लिए विशाखा जी को बधाई |
जवाब देंहटाएंजन आंदोलित करने वाली कृति
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई
बहुत ही साला भाषा में अपनी बात कही.... बेहद सुन्दर रचना.....!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और उत्कृष्ट रचना....
जवाब देंहटाएंआभार |
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ||