विसंगति
एक बच्ची के कन्धों पर,
स्कूल के कंधे का बोझ है
एक बच्ची घर के लिए,
पानी भर कर लाती रोज है
एक को ब्रेड,बटर,जाम,
खाने में भी है नखरे
एक को मुश्किल से मिलते है,
बासी रोटी के टुकड़े
एक को गरम कोट पहन कर
भी सर्दी लगती है
एक अपनी फटी हुई फ्राक में
भी ठिठुरती है
एक के बाल सजे,संवरे,
चमकीले चिकने है
एक के केश सूखे,बिखरे,
घोंसले से बने है
एक के चेहरे पर गरूर है,
एक में भोलापन है
इसका भी बचपन है,
उसका भी बचपन है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
भारतीय न्याय संहिता 2023 - भाग - 1
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आज से हम आरंभ कर रहे हैं उस परिवर्तन की बात जो भारतीय दंड संहिता 1860 मे
विस्तार मे था और भारतीय न्याय संहिता 2023 में समेट दिया गया है. भारतीय दंड
संहि...
3 घंटे पहले
बढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंविसुअल बेसिक पाठ नंबर - 8 अब हिंदी में
उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंthanks for liking my poem
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