माँ बाप जब बूढ़े हो जाते हैं
बच्चो को बोझ से नजर आते हैं,
जिनकी उँगली थाम के सीखते हैं चलना ,
उन्ही का सहारा बनने में कतराते हैं,
माँ बाप जब बूढ़े हो जाते हैं |
अपना पेट काट कर पालते थे जिन बच्चो को ,
वही बच्चे उन्हें दो वक्त की रोटी का मोहताज बना जाते हैं ,
माँ बाप जब बूढ़े हो जाते हैं |
अपनी हर ख़ुशी कुर्बान कर दी जिन बच्चो की खातिर ,.......................
शेष कविता के लिए ब्लॉग anudalakoti.blogspot.in पर अवश्य जाएँ तथा अपनी प्रतिक्रियाएं दे | धन्यवाद|
बच्चो को बोझ से नजर आते हैं,
जिनकी उँगली थाम के सीखते हैं चलना ,
उन्ही का सहारा बनने में कतराते हैं,
माँ बाप जब बूढ़े हो जाते हैं |
अपना पेट काट कर पालते थे जिन बच्चो को ,
वही बच्चे उन्हें दो वक्त की रोटी का मोहताज बना जाते हैं ,
माँ बाप जब बूढ़े हो जाते हैं |
अपनी हर ख़ुशी कुर्बान कर दी जिन बच्चो की खातिर ,.......................
अनु डालाकोटी
शेष कविता के लिए ब्लॉग anudalakoti.blogspot.in पर अवश्य जाएँ तथा अपनी प्रतिक्रियाएं दे | धन्यवाद|
सच्चाई है ..
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachnaa...
जवाब देंहटाएं