चलो आज कुछ तूफानी करते है
होटल में पैसे उड़ाते नहीं,
गरीबों का चायपानी करते है
चलो ,आज कुछ तूफानी करते है
अनपढ़ को पढना सिखायेंगे है हम
भूखों को खाना खिलाएंगे हम
काला ,पीला ठंडा पियेंगे नहीं,
प्यासों को पानी पिलायेंगे हम
काम किसी के तो आ जाएगी,
दान चीजें पुरानी करतें है
चलो,आज कुछ तूफानी करते है
निर्धन की बेटी की शादी कराये
अंधों की आँखों पे चश्मा चढ़ाएं
अपंगों को चलने के लायक बनाये
पैसे नहीं,पुण्य ,थोडा कमाए
अँधेरी कुटिया में दीपक जला,
उनकी दुनिया सुहानी करते है
चलो ,आज कुछ तूफानी करते है
बूढों,बुजुर्गों को सन्मान दें
बुढ़ापे में उनका सहारा बनें
बच्चों का बचपन नहीं छिन सके
हर घर में आशा की ज्योति जगे
लाचार ,बीमार ,इंसानों के,
जीवन में हम रंग भरते है
चलो,आज कुछ तूफानी करते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पुस्तक समीक्षा : बुद्धिनाथ मिश्र को समझने का सफल प्रयास — रामनारायण रमण
-
समीक्षित पुस्तक : बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता, सम्पादक : अवनीश सिंह चौहान
, प्रकाशक : प्रकाश बुक डिपो, बड़ा बाज़ार, बरेली-243003, दूरभाष:
0581-2572217,...
4 घंटे पहले
जहां जिँदगी के मकसद नही वहां क्या तूफानी ?
जवाब देंहटाएं