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मंगलवार, 15 मार्च 2022

भूख तो सबको लगती ही है 

चाहे आदमी हो चाहे जानवर 
कीट हो या नभचर
सभी के पेट में आग तो जलती ही है 
भूख तो सबको लगती ही है 

पेट खाली हो तो बदन में ताकत नहीं रहती 
कुछ भी कर सकने की हिम्मत नहीं रहती 
खाली पेट आदमी सो नहीं पाता 
भूखे पेट भजन भी हो नहीं पाता 
इसलिए जिंदा रहने पेट भरना पड़ता है 
पेट भरने के लिए काम करना पड़ता है 
पंछी नीड छोड़ दाने की तलाश में उड़ता है 
आदमी कमाई के लिए काम में जुटता है 
दिन भर की मेहनत के बाद
 दो जून की रोटी नसीब हो पाती है 
 इसी पेट के खातिर दुनिया कमाती है 
 किसान खेती करता है, अन्न उपजाता है 
 जिसे पकाकर पेट भरा जाता है 
 जानवर भी एक दूसरे का शिकार करते हैं 
 सब जैसे तैसे भी अपना पेट भरते हैं 
 मांस हो या बोटी 
 रोटी हो या डबल रोटी 
 चाट हो या पकौड़ी 
 पूरी हो या कचौड़ी 
 बिरयानी हो या चावल 
 सब्जी हो या फल 
 जब तक पेट में कुछ नहीं जाता है 
 आदमी को चैन नहीं आता है 
 सुबह चाय बिस्कुट चाहिए
  फिर नाश्ता और लंच खाइए 
  शाम को फिर चाय और स्नैक्स
   फिर रात में डिनर 
   आदमी चरता ही रहता है दिन भर 
   कुछ नहीं मिलता तो गुजारा करता है पानी पी पीकर फिर भी उसकी भूख खत्म नहीं होती 
   उस की लालसा कम नहीं होती 
   भूख कई तरह की होती है 
   तन की भूख
   धन की भूख
   जमीन की भूख
   सत्ता की भूख 
   कुर्सी की भूख 
   एक भूख खत्म होती है तो दूसरी जग जाती है 
   कई बार एक भूख पूरी करने के चक्कर में,
    पेट की भूख मर जाती है 
    आदमी दवा खाता है 
    आदमी हवा खाता है 
    आदमी डाट खाता है 
    आदमी मार खाता है 
    आदमी रिश्वत खाता है 
    आदमी पूरी जिंदगी भर कुछ न कुछ खाता है 
    पर फिर भी उसका पेट नहीं भरता है
     और जब वह मरता है
     तो उसके घर वाले हर साल 
     पंडित को श्राद्ध में खिलाते हैं 
     उसकी तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाते हैं 
   ये भूख मरने के बाद भी सबको ठगती ही है 
   भूख तो सबको लगती ही है

मदन मोहन बाहेती घोटू
बुढ़ापे में मियां बीवी का प्यार 

कभी झगड़ा ,कभी तकरार 
कभी बातों का प्रहार ,कभी तानो की बौछार 
एक दूसरे को टोकना बार बार
कभी जीत ,कभी हार 
कभी रूठना ,कभी मनवार 
और यूं ही निकाल लेना मन का गुबार 
कभी पिता सा गुस्सा ,कभी मां का दुलार 
बस यही है बुढ़ापे में मियां बीवी का प्यार 

दो प्राणी अकेले बुढ़ापे की मार झेलते हैं 
समय नहीं कटता तो झगड़ा झगड़ा खेलते हैं 
एक दूसरे का सहारा देकर साथ साथ चलना
किसी का सिर दुखे तो बाम मलना 
थोड़ा सा सहलाना ,अपना मन बहलाना 
इतना सीमित रह गया है आजकल अभिसार
 बुढ़ापे में यही है मियां बीवी का प्यार  
 
 नहीं है चिंतायें पर उदास रहता है मन 
 बात बिना बात ही हुआ करती है अनबन 
 फिर एक दूजे को कोई ऐसे मनाता है 
 पत्नी पकोड़े बनाती, पति आइसक्रीम खिलाता है 
 इन्हीं छोटी-छोटी बातों में सिमट गया है संसार 
 बस यही है, बुढ़ापे में मियां बीवी का प्यार 
 
 जब त्योहारों पर बच्चों के शुभकामना संदेश आते हैं थोड़ी देर ,दोनों बच्चों की तरह खुश हो जाते हैं 
 उनके सुखी जीवन के लिए दुआएं देते हैं  
 उनकी खैरियत को अपनी ख़ैरियत बना लेते हैं 
 बहू बेटी पोता पोती मिलने को भी आते हैं ,
 पर वही साल में एक दो बार 
 बस यही है बुढ़ापे में मियां बीवी का प्यार 
 
 कभी कोई हावी है कभी कोई झुकता 
 याद बीती बातें कर ,आती भावुकता  
 किसी से नहीं रही, कोई भी आकांक्षा
  बस दोनों स्वस्थ रहें इतनी सी अभिलाषा
  सुखी रहे घोसले में सिमटा हुआ परिवार 
  बस यही है बुढापे में मियां बीवी का प्यार 

मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 12 मार्च 2022

उमर की मेहरबानी 

ज्यों ज्यों उमर मेहरबां हो रही है 
मेरे दिल की मस्ती ,जवां हो रही है 

यूं ही जूझते उम्र सारी गुजारी 
परिवार खातिर ,करी मारामारी 
खुशी लेकर आया बुढ़ापे का मौसम 
उमर आई अपने लिए अब जिए हम 
बहुत जिंदगी खुशनुमां हो रही है 
मेरे दिल की मस्ती जवां हो रही है 

भले ही लुनाई, रही ना वो तन में 
बड़ी शांति पर ,बसी अब है मन में 
निश्चिंत जीवन, बड़ा बेफिकर है 
करो मौज की अब आई उमर है 
परेशानियां सब हवा हो रही है 
मेरे दिल की मस्ती जवां हो रही है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जो बीत गया वह अच्छा था ,
जो आएगा अच्छा होगा 
यह सोच शांति देगा मन को ,
जीवन में सुख सच्चा होगा 

अच्छा या बुरा सभी कुछ जो ,
तुमने कर डाला ,कर डाला 
उसका रोना रोने से अब ,
कुछ लाभ नहीं होने वाला 
इससे बेहतर अब यह होगा 
जितना भी शेष बचा जीवन 
तुम सेवा और सत्कर्म करो ,
लो रामा राम में अपना मन 
जीवन वैसे ही बीतेगा ,
नियति ने जो रच्चा होगा 
जो बीत गया वो अच्छा था ,
जो आएगा अच्छा होगा 

यदि सोच सकारात्मक है तो,
चिंतायें नहीं सताएगी 
ना सूरज प्रखर तपायेगा,
ना काली रात डरायेगी
आशा के दीप जला रखना,
 मन में ना कभी निराशा हो 
 मायूसी मुख पर ना झलके, 
 चेहरा हरदम मुस्काता हो 
 मत रखो अपेक्षा कोई से ,
 दिल टूट गया तो क्या होगा 
 जो बीत गया वह अच्छा था 
 जो आएगा अच्छा होगा

मदन मोहन बाहेती घोटू
तुम वही करो जो मन बोले 

तुम वही करो जो मन बोले 
जिससे तुमको मिलती शांति ,
जो मन की दबी गांठ खोलें 
तुम वही करो जो मन बोले 

यह सोच, कोई क्या सोचेगा,
 तुम सोच न खुद की खोने दो
 औरों की सोच को अपने पर ,
 बिल्कुल हावी मत होने दो 
 यह नहीं जरूरी तुम्हारी 
 औरों के साथ पसंद मिले 
 तुमको बस वो ही करना है ,
 जिससे तुमको आनंद मिले 
 जो भी करना दृढ़ निश्चय से,
  मत खाना डगमग हिचकोले 
  तुम वही करो जो मन बोले 
  
तरह-तरह के परामर्श ,
देने कितने ही आएंगे 
तुम ये करलो तुम वो करलो 
शुभचिंतक बंद समझाएंगे 
इन रायचंद की रायों को ,
तुम बिल्कुल ध्यान नहीं देना
चाहे कुछ भी परिणाम मिले 
इनको ना कुछ लेना देना 
लेकिन निष्कर्ष नहीं लेना,
 तुम भले बुरे को बिन तोले 
 तुम वही करो जो मन बोले

मदन मोहन बाहेती घोटू
 

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