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रविवार, 6 जून 2021

मास्टर जी की छड़ी 

मास्टर जी की लपलपाती बांस की छड़ी 
जिससे स्कूल के सब बच्चे, डरते थे हर घड़ी
जिसकी मार यदि हम कभी खाते थे 
हथेली पर निशान पड़ जाते थे 
 जिसके डर ने हमें पढ़ना लिखना सिखाया
 बुद्धू से बुद्धिमान बनाया 
 पता ही नहीं चल पाया, कब वह बड़ी हो गई
 लाठी बन कर, लठैतों के हाथ लग गई 
 सब को धमकाती  है 
 अपना रौब जमाती है 
 अगर ध्यान देते तो वह बन सकती थी बांसुरी 
मधुर स्वरों से भरी 
 या फिर निसरनी बनकर 
 लोगों को पहुंचा सकती थी ऊंचाई पर 
 यह नहीं तो कम से कम 
 किसी बूढ़े का सहारा सकती थी बन
 मगर जो था किस्मत में ,वही वह बनी है 
 लठैतो के हाथ में आकर तनी है 
 गनीमत है अर्थी बनने मे काम नहीं आई
 वरना किस्मत होती बड़ी दुखदाई
 इसलिए संतोष से है पड़ी
 मास्टरजी की लपलपाती बांस की छड़ी

मदन मोहन बाहेती घोटू
 
 
वैक्सीन अवतार

अबकी बार बहुत दिनों के बाद
 इंद्र ने सभी देवताओं को किया याद  
 इंद्रसभा का सेशन बुलवाया 
पर  माहौल बड़ा बदला बदला नजर आया 
पवन देवता ,मुंह पर पट्टी बांध खड़े थे 
चेहरा कमजोर दिखता था, पीले पड़े थे 
इंद्र बोले यह क्या बना रखा है हाल 
पवन बोले क्या बतलाऊं सरकार 
पृथ्वी पर कोरोना राक्षस का हमला अब हो गया है 
लोगों का सांस लेना भी दुर्लभ हो गया है 
लोगों ने करके मेरा विच्छेदन 
निचोड़ लिए मेरी सारी ऑक्सीजन 
हो गया मेरा तन ऑक्सीजन से कंगाल है 
इसीलिए पीला पड़ गया हूं, मेरा बुरा हाल है 
इंद्र ने अग्निदेव से पूछा आप क्यों निस्तेज पड़े हैं 
बड़े घबराए घबराए से खड़े हैं 
अग्निदेव बोले करोना से इतने लोग गए हैं मर
 कि मैं थक गया हूं उन की चिताओं को  जला कर
और मुझ में भी नजर आ रहे हैं बीमारी के लक्षण
 कहीं हो ना गया हो मुझको भी कोरोना का संक्रमण इसीलिए मुंह पर पट्टी बांध रखी है 
 और आप से दो गज की दूरी बनाए रखी है 
 इंद्र ने वरुणदेव से पूछा आपकी क्या समस्या है आपकी हालत का कारण क्या है 
 वरुणदेव बोले कि अग्नीदेव की नाकामी के कारण लोगों ने कोरोना पीड़ित शवों का किया जलविसर्जन और नदियों में बहा दिया है 
 मुझको भी संक्रमित किया है 
 मैं इस आफ़त से कैसे बचूं,समझ न पा रहा हूं 
 इसलिए इतना घबरा रहा हूं 
 इन्द्र बोले इतना कुछ हुआ किसीने नहीं दी मुझे खबर 
 सब बोले हम ने ट्विटर पर पोस्ट कर दिया था सर 
 आप व्यस्त होंगे इसलिए आपकी पड़ी नहीं नजर 
 इंद्र बोले अगर ये मुसीबत यहां भी आजाएगी
 तो फिर अप्सराएं भी पास आने से कतराएंगी
 अब चलो सब मिलकर विष्णुदेव से गुहार लगाते हैं क्योंकि ऐसे संकट में हमेशा वही काम आते हैं 
 और सब ने मिलकर लेकर ऐसा ही किया 
 और विष्णु देव ने इस संकट से पृथ्वी को उबारने,   वैक्सीन के रूप में अवतार लिया

मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 5 जून 2021

मजबूरी में नहीं रहेंगे

 लंबे जीवन की चाहत में ,ढंग से जीना छोड़ दिया है अपनी मनभाती चीजों से, अब हमने मुख मोड़ लिया है
 
 ना तो जोश बचा है तन में, और ना हिम्मत बची शेष है 
शिथिल हो रहे अंग अंग है, बदला बदला परिवेश है
 कई व्याधियों ने मिलकर के, घेर रखा है जाल बनाकर 
सुबह दोपहर और रात को, तंग हो गए भेषज खाकर 
पाबंदियां लगी इतनी पर, हम उनके पाबंद नहीं हैं 
वह सब खाने को मिलता जो ,हमको जरा पसंद नहीं है
 ना मनचाहा खाना पीना ,ना मनचाहे ढंग से जीना 
हे भगवान किसी को भी तू, ऐसे दिन दिखलाए कभी ना 
जीभ विचारी आफत मारी ,स्वाद से रिश्ता तोड़ लिया है 
लंबे जीने की चाहत में, ढंग से जीना छोड़ दिया है 

दिनदिन तन का क्षरण हो रहा बढ़ती जातीरोजमुसीबत 
फिर भी लंबा जीवन चाहे अजब आदमी की है फितरत 
आती जाती सांस रहे बस, क्या ये ही जीवन होता है
क्या मिलजाता क्यों येमानव इतनी सब मुश्किल ढोता है 
खुद को तड़पा तड़पा कर के, लंबी उम्र अगर पा जाते
 जीवित भले  कहो लेकिन वह, मरने के पहले मर जाते
 इसीलिए कर लिया है यह तय, मस्ती का जीवन जीना है 
जी भर कर के मौज मनाना ,मनचाहा खाना पीना है 
हमने जीवन नैया को अब  भगवान भरोसे छोड़ दिया है 
लंबे जीने की चाहत में, ढंग से जीना छोड़ दिया है

मदन मोहन बाहेती घोटू
अपनी-अपनी किस्मत 

हरएक कपड़े के टुकड़े की होती किस्मत जुदा-जुदा है 
जो भी लिखा भाग्य में होता, वो ही मिलता उसे सदा है

एक वस्त्र की चाहत थी यह,कि बनकर एक सुंदर चादर  
नयेविवाहित जोड़े की वो,बिछे मिलन की शयनसेज पर 
पर बदकिस्मत था ,अर्थी में, मुर्दे के संग आज बंधा है 
हरएक कपड़े के टुकड़े की होती किस्मत जुदा-जुदा है

 एक चाहता था साड़ी बन, लिपटे किसी षोडशी तन पर
 किंतु रह गया वह बेचारा ,एक रुमाल छोटा सा बनकर 
 जिससे कोई सुंदरी पोंछे,अपना पसीना यदा-कदा है
 हर एक कपड़े के टुकड़े की, होती किस्मत जुदा-जुदा है
 
 एक चाहे था बने कंचुकी ,लिपट रहे यौवन धन  के संग 
बना पोतडा एक बच्चे का,सिसक रहा,बदला उसका रंग
कोई खुश है किसी घाव पर ,पट्टी बंद कर आज बंधा है 
हर एक कपड़े के टुकड़े की होती किस्मत जुदा-जुदा है

मदन मोहन बाहेती घोटू

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