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शुक्रवार, 4 जून 2021

आत्म निरीक्षण 

तुमने खुद कुछ गलती की है 
ठोकर तुमको तभी लगी है 
सड़क न देखी, दोष दूसरों ,
पर कि किसी ने गाली दी है 

 लोग न खुद की कमियां देखें 
 औरों पर आरोप लगाते 
  खुद को नहीं नाचना आता
  आंगन को टेढ़ा बतलाते 
   
यह मत समझो सभी गलत है,
 और तुम करते वही सही है 
 दोष कई हम में तुम में हैं ,
 धुला दूध का कोई नहीं है 
 
 ढूंढो मत बुराई औरों में ,
 कभी झांक देखो निज अंदर 
 तुम पाओगे कि बुराई का ,
 भरा हुआ है एक समंदर 
 
कभी कसौटी पर कर्मों की, 
परखो,खुद को, देखो घिस कर 
 जान पाओगे, खोट, खरापन
 अपना, नहीं लगेगा पल भर
  
क्योंकि गलती नहीं मानना ,
और सच को झुठला कर रखना 
कोशिश रहती कैसे भी बस,
अपनी खाल बचा कर रखना 
 
शुतुरमुर्ग से मुंह न छुपाओ ,
दुनिया है तुमको देख रही है
चिंतन करो ,मान लो गलती ,
मत बोलो, जो सही नहीं है

निकल जाएगा सर्प, लकीरें ,
सिर्फ पीटते रह जाओगे 
खुद को नहीं सुधारोगे तो ,
तुम जीवन भर पछताओगे

घोटू
पप्पू जी ने क्या-क्या सीखा 

जब से सत्ता ने मुख मोड़ा हम घर पर टिकना सीख गए पहले हम फाड़ते थे चिट्ठी ,अब चिट्ठी लिखना सीख गए दुनिया कहती हम पप्पू हैं, और बात बेतुकी करते हैं, 
अब ऊल जुलूल हरकतों से, टीवी पर दिखना सीख गए कोई कितना भी कुछ बोले,हम पर कुछ असरनहींहोता , कुछ भी डालो सब फिसल जाए, हम बनना चिकना सीख गए 
जो भी कुर्सी है हाथों में, हम कभी ना उसको छोड़ेंगे कोई ना हमें उखाड़ सके ,कुर्सी से चिपकना सीख गए क्या-क्या सपने हमने देखे, कुर्सी पर चढ़ेंऔर दूल्हा बने, ये भी न मिला,वो भी न मिला, हाथों को मलना सीखगए 
इस तरह फकीरी वाले दिन,प्रभु नहीं किसी कोदिखलाएं
 पहले मंहगे बिकते थे हम, अब सस्ते बिकना सीख गए

घोटू
टीका टिप्पणी 

हर एक बात पर करना टीका टिप्पणी यह हमारी आदत है पुरानी 
क्योंकि कहते हैं इसे विद्वत्ता की  निशानी 
तो चलो आज भी ऐसा ही कुछ किया जाए 
टीके पर ही टिप्पणी की जाए
 बचपन से साथ रहा है ,टीके का और हमारा
 हमारी मां हमें हमे लगाती थी काजल का टीका,
  ताकि बुरी नजर से बच कर रहे उनका दुलारा
 पैदा होते ही नर्स ने हमें कई तरह के टीके लगवाये ताकि हम कई बीमारियों से बच पाए  
 बाद में बहन, भाई दूज, रक्षाबंधन पर हमारे मस्तक पर कंकू का टीका लगाती थी 
 बदले में उपहार पाती थी 
 फिर हम जब मंदिर में जाते थे 
 पंडित जी हमारे मस्तक पर चंदन का टीका लगाते थे बदले में दक्षिणा पाते थे 
 घर पर जब भी कोई पूजा हवन यह त्यौहार मनता था
  हमारे मस्तक पर टीका लगता था 
  फिर जब हमारी हुई सगाई 
  तो सबसे पहले टीके की रस्म गई थी निभाई 
  और जब हम घोड़ी पर चढ़कर 
  ससुराल गए थे दूल्हा बनकर 
  हमारी सास ने हमारे मस्तक पर टीका लगाकर अपना मतलब था साधा 
 और अपनी जिम्मेदारी का हाथ पकड़ा कर ,
 हमारे पल्ले था बांधा 
 और शादी के बाद पत्नी की फरमाईशों के आगे
 आज तक कोई  क्या कभी है टिका
 उसको चाहिए कभी सोने का नेकलेस ,
 कभी चाहिए मांग का टीका 
अलग-अलग पंथ के गुरु साधु और संत
अपने मस्तक पर अलग-अलग ढंग से टीका लगाते हैं और टीके से ही पहचाने जाते हैं
 हमारे बड़े बड़े ग्रंथ जैसे रामायण भागवत और गीता इनकी कितने ही साहित्यकारों रहे हैं लिखी है टीका टीका लगवा कर , अक्सर हमने कुछ तो कुछ दिया है या कुछ न कुछ पाया है 
 मगर एक टीका है ,जो हमको कोरोना से बचाने के लिए आया है
 और वह भी एक नहीं दो-दो टीके कुछ अंतर से लगवाने पड़ते हैं 
 जो कोरोना के वायरस से लड़ते हैं
  सच तो यह है कि टीके के बल पर 
  आज टिका इंसान है
  टीके की महिमा सचमुच महान है

मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 3 जून 2021

घोटू के पद

 घोटू ,दुनिया बड़ी सयानी 
 सभी बात पर केवल देखें अपनी लाभ और हानी
 हमें खिलाये खिचड़ी ,हमसे, पर चाहे बिरयानी
 छोटा-मोटा काम बता दो, मांगे खर्चा पानी 
कर्जा ले, बातें कर चिकनी, चुपड़ी और सुहानी 
वक्त चुकाने का जब आये, तो फिर आनाकानी 
छुरी बगल में छुपी, मुंह पर कोरी प्रीत दिखानी 
नहीं काठ की हांडी चूल्हे,बार-बार चढ़ जानी  
ये मरजानी समझ न आनी, हाथी दांत दिखानी 
घोटू सारी उम्र काट दी, अब तक ना पहचानी


घोटू के पद

 घोटू ,दुनिया बड़ी सयानी 
 सभी बात पर केवल देखें अपनी लाभ और हानी
 हमें खिलाये खिचड़ी ,हमसे, पर चाहे बिरयानी छोटा-मोटा काम बता दो, मांगे खर्चा पानी 
कर्जा ले, बातें कर चिकनी, चुपड़ी और सुहानी 
वक्त चुकाने का जब आये, तो फिर आनाकानी 
छुरी बगल में छुपी, मुंह पर कोरी प्रीत दिखानी 
नहीं काठ की हांडी चूल्हे,बार-बार चढ़ जानी  
ये मरजानी समझ न आनी, हाथी दांत दिखानी 
घोटू सारी उम्र काट दी, अब तक ना पहचानी

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