मुक्तक
1
अचानक एक दिन यूं ही तमाशा कर दिया मैंने
खुलासा करने वालों का खुलासा कर दिया मैंने
वो तड़फे, तिलमिलाए पर,नहीं कुछ कर सके मेरा ,
बहुत बनते थे बस नंगा जरा सा कर दिया मैंने
2
बड़े तुम बोल,ना बोलो अपनी तारीफ मत हांको
कभी भी दूसरों को अपने से छोटा नहीं आंकों
तुम्हारी क्या हकीकत है की दुनिया जानती है सब,
फटा का गरेंबां हो जब, फटे दूजे में मत झांको
मदन मोहन बाहेती घोटू
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