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रविवार, 13 अप्रैल 2025

अपनो से 

तुम मुझसे मिलने ना आते,
तो मुझे बुरा नहीं लगता है ,
पर कभी-कभी जब आ जाते,
तो यह मन खुश हो जाता है 

मैं यही सोच कुछ ना कहता,
तुम बहुत व्यस्त रहते होंगे ,
क्या मुझसे मिलने कभी-कभी,
 मन तुम्हारा अकुलाता है 

कोशिश करोगे यदि मन से 
तो समय निकल ही जाएगा,
मिलने जुलने से प्रेम भाव 
आपस वाला बढ़ जाता है 

है दूरी भले घरों में पर ,
तुम दिल में दूरी मत रखना ,
यह कभी टूट ना पायेगा,
 मेरा तुम्हारा नाता है 

इतनी तो अपेक्षा है तुमसे,
तुम कभी उपेक्षा मत करना 
वरना तुम्हारी यह करनी ,
हर दम मुझको तड़पाएगी 

मैं हूं उसे मोड़ पर जीवन के,
क्या पता छोड़ दूं कब सबको ,
तुम कभी-कभी मिल लिया करो,
 तो उम्र मेरी बढ़ जाएगी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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