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सोमवार, 19 जनवरी 2015

पिताजी

       पिताजी

पिताजी ,
सख्त थे ,दांतों  तरह,
जिनके अनुशासन में बंध ,
हम जिव्हा की तरह ,
बोलते,हँसते, गाते,मुस्कराते रहे
चहचहाते रहे
और टॉफियों की तरह जिंदगी का
स्वाद उठाते रहे
वो,लक्ष्मणरेखा की तरह ,
हमें अपनी हदें पार करने को रोकते थे,
बार बार टोकते थे
और कई बार हम,
 उनकी सख्ती को,कोसते थे
 पर कभी भी ,जब सख्त से सख्त दांतों में,
दर्द और पीड़ा होती है,
तो वह दर्द कितना असहनीय होता है,
ये वो ही महसूस कर पाता  है ,
जिसके दांतों में दर्द होता है
मुझे  ,उनके चेहरे पर ,
वही पीड़ा दिखी थी
जब शादी के बाद ,
मेरी बहन बिदा हुई थी,
या थोड़े दिन की छुट्टियों के बाद,
मैं और मेरे बच्चे ,
वापस अपनी अपनी नौकरी पर लौटते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

माँ से

          माँ  से
माँ !
तुमने नौ महीने तक ,
अपने तन में मेरा भार ढोया
प्रसव पीड़ा सही और 
मुझे दुनिया में लाने के,
सपनो को संजोया
मुझे भूख लगी तो,
मुझे छाती से लिपटा  दूध पिलाया    
मैं रोया तो ,
मुझे गोदी में ले दुलराया 
मुझे सूखे में सुला कर ,
खुद  गीले बिस्तर पर सोई
दर्द मुझे हुआ ,
और तुम रोई
शीत  की सिहरती रात में,
तुमने बन कम्बल ,
मुझे सम्बल दिया
बरसात के मौसम में,
अपने आँचल का  साया दे,
मुझे भीगने नहीं दिया
गर्मी की दोपहरी में ,
अपने आँचल का पंखा डुलाती रही
अपनी  छत्रछाया में ,
हमेशा मुझे परेशानियों से बचाती रही
माँ,जिस ममता,वात्सल्य से ,
तुमने मुझे पाला है
तुम्हारा  वो प्यार अद्भुत और निराला है
मैं इतना लाड प्यार और कहाँ से पाउँगा ?
क्या मैं कभी इस ऋण को चुका पाउँगा ?

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

दुबे जी

                   दुबे जी

एक दुबे वो होते है जो होते तो थे चौबे पर,
     छब्बे बनने के चक्कर में ,रहे सिर्फ दुबे बन के
और दूसरे दुबे वो जो 'डूबे'रहते मस्ती में ,
      इंग्लिश  उच्चारण का चक्कर ,डूबे है दुबे बनके
'दुइ'का मतलब हिन्दी में 'दो','बे' होता दो गुजराती में,
     दुइ से जब 'बे'मिल जाता,दो दूनी चार 'दुबे बन के ,
घर में पत्नी से रहें दबे ,दाबे मन की पीड़ाओं को,
       है दबी हंसीं पर हंसा रहे ,सबको  दबंग 'दुबे बन के

घोटू

बुधवार, 14 जनवरी 2015

वाइब्रंट गुजरात

                   वाइब्रंट गुजरात

छोड़ कर यू पी की मथुरा ,गये गुजरात जब कान्हा,
      वहां पर द्वारका के धीश बन कर हुए  आभूषित
गए घनश्याम  बालक छोड़  घर,गुजरात ,यूपी से ,
     बन गए स्वामिनारायण ,हो गए विश्व   में पूजित
बडी वाइब्रंट ,उपजाऊ ,धरा गुजरात की है ये ,
       यहाँ हर बीज होता पल्ल्वित ,धन धान्य देता है
वहीँ की तो उपज है ये ,हमारे नरेंदर मोदी ,
        आज जो देश ही ना विश्व के  गणमान्य  नेता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

केजरीवाल -३

 केजरीवाल -३

तुम्हारे कान पर मफलर ,तुम्हारे हाथ में झाड़ू,
समझ में ये नहीं आता ,तुम्हारी शक्सियत क्या है
आदमी ,आम है सो आम है ,क्यों लिख्खा टोपी पर ,
समझ में ये नहीं आता  ,तुम्हारी कैफ़ीयत क्या है
तुम अपने साथ फोटो खिचाने का लेते हो पैसा ,
पता इससे ही लग जाता ,तुम्हारी ये नियत क्या है
आप के साथ में हम बैठ कर के खा सके खाना,
आदमी आम हम इतने ,हमारी हैसियत क्या है 
चुना था हमने पिछली बार भी पर टिक न पाये तुम ,
चुने जाने की अबकी बार फिरसे जरूरत क्या है
न अन्ना के ही रह पाये, न हो पाये  हमारे तुम ,
बोलते कुछ हो करते कुछ तुम्हारी असलियत क्या है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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