प्यार से जब भी पुकारा आपने ---
प्यार से जब भी पुकारा आपने ,
हम चले आये सपन बन नींद में
प्यार हमने आपसे जी भर किया ,
आपके प्यारे सजन बन नींद में
पडी रहती किसी कोने में ह्रदय के ,
हमारे मन की अधूरी कामनाएं
रूपसी प्यारी परी का रूप धर कर ,
सपन बन कर,नींद में वो मुस्कराएं
जब भी हो उन्मुक्त चाहा नाचना ,
हम चले आये गगन बन नींद में
प्यार से जब भी पुकारा आपने ,
हम चले आये सपन बन नींद में
प्रीत बचपन की हमारी और तुम्हारी,
कारणों से कुछ ,मिलन पर हो न पाया
याद आई ,कुञ्ज गलियाँ ,कालिंदी तट ,
चाँद जब पूनम शरद का मुस्कराया
लगी मन में रास की जब भी लगन तो,
हम चले आये किशन बन नींद में
प्यार से जब भी पुकारा आपने ,
हम चले आये सपन बन ,नींद में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
प्यार से जब भी पुकारा आपने ,
हम चले आये सपन बन नींद में
प्यार हमने आपसे जी भर किया ,
आपके प्यारे सजन बन नींद में
पडी रहती किसी कोने में ह्रदय के ,
हमारे मन की अधूरी कामनाएं
रूपसी प्यारी परी का रूप धर कर ,
सपन बन कर,नींद में वो मुस्कराएं
जब भी हो उन्मुक्त चाहा नाचना ,
हम चले आये गगन बन नींद में
प्यार से जब भी पुकारा आपने ,
हम चले आये सपन बन नींद में
प्रीत बचपन की हमारी और तुम्हारी,
कारणों से कुछ ,मिलन पर हो न पाया
याद आई ,कुञ्ज गलियाँ ,कालिंदी तट ,
चाँद जब पूनम शरद का मुस्कराया
लगी मन में रास की जब भी लगन तो,
हम चले आये किशन बन नींद में
प्यार से जब भी पुकारा आपने ,
हम चले आये सपन बन ,नींद में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'