हम नूतन घर में आये है
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नए पडोसी,नयी पड़ोसन
नया चमकता सुन्दर आँगन
नूतन कमरे और वातायन
ये सब मन को अति भाये है
हम नूतन घर में आये है
कोठी में थे,बड़ी शान में
थे जमीन पर ,उस मकान में
आज सातवें आसमान में
हमने निज पर फैलायें है
हम नूतन घर में आये है
प्यारा दिखता उगता सूरज
सुदर लगता ढलता सूरज
धूप,रोशनी,दिन भर जगमग
नवप्रकाश में मुस्काये है
हम नूतन घर में आये है
तरणताल में नर और नारी
गूंजे बच्चों की किलकारी
क्लब,मंदिर,सुख सुविधा सारी
पाकर के हम हर्शायें है
हम नूतन घर में आये है
झरने,फव्वारे खुशियों के
शीतल,तेज हवा के झोंके
ताक झांक करने के मौके
इस ऊंचे घर में पायें है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
(यह कविता मेरे ओरंज काउंटी में
आने के उपरान्त लिखी गयी है)
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नए पडोसी,नयी पड़ोसन
नया चमकता सुन्दर आँगन
नूतन कमरे और वातायन
ये सब मन को अति भाये है
हम नूतन घर में आये है
कोठी में थे,बड़ी शान में
थे जमीन पर ,उस मकान में
आज सातवें आसमान में
हमने निज पर फैलायें है
हम नूतन घर में आये है
प्यारा दिखता उगता सूरज
सुदर लगता ढलता सूरज
धूप,रोशनी,दिन भर जगमग
नवप्रकाश में मुस्काये है
हम नूतन घर में आये है
तरणताल में नर और नारी
गूंजे बच्चों की किलकारी
क्लब,मंदिर,सुख सुविधा सारी
पाकर के हम हर्शायें है
हम नूतन घर में आये है
झरने,फव्वारे खुशियों के
शीतल,तेज हवा के झोंके
ताक झांक करने के मौके
इस ऊंचे घर में पायें है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
(यह कविता मेरे ओरंज काउंटी में
आने के उपरान्त लिखी गयी है)