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सोमवार, 10 सितंबर 2012

मेरी माँ,दुनिया की सबसे अच्छी माँ है

मेरी माँ,दुनिया  की  सबसे अच्छी माँ है

धवल रजत से केश,स्वच्छ हैं,मन से उजले
यादों के सैलाब,वृद्ध  आँखों में   धुंधले
बार बार,हर बात,भूलती है दुहराती
खुश होती तो स्वर्ण दन्त,दिखला मुस्काती
ममता का सागर अथाह है जिसके मन में
देख लिए नब्बे बसंत ,जिसने जीवन में
नाती,पोते,बेटी और बेटों से मिल कर
अब भी फूल बिखर जाते,चेहरे पर खिल कर
कभी कभी गुमसुम बैठी ,कुछ सोचा करती
जीवन के किस कालखंड में पहुंचा करती
बाबूजी को याद किय करती है मन में
अक्सर भटका करती यादों के उपवन में
बूढी आँखों में ममता,वात्सल्य भरा है
मेरी माँ ,दुनिया की सबसे अच्छी माँ है

मादन मोहन बाहेती'घोटू' 

रविवार, 9 सितंबर 2012

कौन बनेगा करोडपति

      कौन बनेगा करोडपति

अमिताभ बच्चन  टी.वी.पर एक खेला दिखलाते है
बारह तेरह प्रश्नों के  उत्तर देनेवाले को करोडपति बनाते है
नेताजी के बेटे ने पकड़ ली ये जिद्दी
कि उसको भी खेलना है कौन बनेगा करोडपति
नेताजी बोले तू ये खेल नहीं खेल पायेगा
दूसरे तीसरे प्रश्न पर ही अटक जाएगा
 और फालतू में मेरा नाम डूबायेगा
अरे करोडपति बनने के लिए जुगाडी होना जरूरी है
या किसी नेता से रिश्तेदारी होना जरूरी है
करोर्पति ही बनना है तो अपने नाम 2 G  स्पेक्ट्रम करवाले
या कोल ब्लाक का आबंटन करवाले
बेटा तू  के बी सी  में जाने कि जिद छोड़
वहां ज्यादा से ज्यादा क्या मिलेगा-पांच करोड़
और अगर एक कोल ब्लोक भी तेरे नाम हो जाएगा
तू कितने ही करोड़ों का मालिक बन जाएगा
बेटा बोला पापा,केबीसी में तो पांच करोड़ मिलेंगे,
तेरह प्रश्नों के सही उत्तर के बाद
और ये मामला अगर केग रिपोर्ट में आगया ,
तो आपको संसद में देने पड़ेगें कई प्रश्नों के जबाब
नेताजी बोले,बेटा तू फालतू में डरता है
जबाब देने के लिए,पार्टी के प्रवक्ता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

तुम्ही प्रेरणा हो


ध्याता हूँ तुझे तो,
कविता बन पड़ती है,
मानस निर्झर से,
अनायास बह पड़ती है;
तुम ही मेरा काव्य हो,
तुम्ही प्रेरणा हो |

निरूप से अक्षर भी,
अलौकिक शब्द बन पड़ते हैं,
निरर्थ वाक्यांश भी,
मोहक छंद सज पड़ते हैं;
तुम ही मेरी कविता हो,
तुम्ही प्रेरणा हो |

तेरी बस छवि मात्र,
अतिकान्त भाव दे जाती है,
अवघट सी बेरा में भी,
सरस उद्गार दे जाती है;
तुम ही मेरी रचना हो,
तुम्ही प्रेरणा हो |

एक तेरा स्मरण नीक,
कवि हृदय जगा जाता है,
बिम्ब तेरा अमंद वेग का,
मन में संचार करा जाता है;
तुम ही मेरी संवेदना हो,
तुम्ही प्रेरणा हो |

शनिवार, 8 सितंबर 2012

दास्ताने -दोस्ती

    दास्ताने -दोस्ती

          १
नजर तिरछी डाल अपने हुस्न का जादू किया,
                    तीर इतने मारे उनने ,खाली  हो तरकश  गये
जाल तो था बिछाया,हमको  फंसाने के लिए,
                   मगर कुछ एसा हुआ की जाल में  खुद फंस गये
बस हमारी  दोस्ती की ,दास्ताँ इतनी सी है,
                    उनने देखा,हमने देखा,दिल में कुछ कुछ सा  हुआ,
उनने दिल में झाँकने की ,सिर्फ दी थी इजाजत,
                    हमने गर्दन और फिर धड,डाला ,दिल में बस गये
           २
 आग उल्फत की जो भड़की,बुझाये ना बुझ सकी,
                       वो भी बेबस हो गये और हम भी बेबस   हो गये
लाख कोशिश की निकलने की मगर निकले नहीं,
                       दिल की सकड़ी गली में वो,टेढ़े हो कर  फंस गये
सोचते है,बिना उनके,जिंदगी का ये सफ़र,
                        कैसे कटता,हमसफ़र बन,अगर वो मिलते नहीं,
शुक्रिया उनका करूं या शुक्र है अल्लाह का,
                         वो मिले,संग संग चले,सपने  सभी सच हो गये

मदन मोहन बाहेती;घोटू' 

बरसात का मौसम सुहाना

बरसात का मौसम सुहाना

आ गया,मन भा गया,बरसात का मौसम सुहाना

गेलरी में,बैठ कर के,पकोड़े   ,गुलगुले  खाना
सांवले से बादलों से  बरसती रिमझिम फुहारें
हरीतिमा अपनी बिखेरे,नहाये से ,वृक्ष  सारे
कर रहा आराम सूरज,आजकल है छुट्टियों पर
धूप तरसे मिलन को पर ,आ नहीं सकती धरा पर
सजी दुल्हन सी धरा पर,उसे बादल है  छुपाये
बड़ा है मनचला चंदा, नजर उसकी पड़ न  जाये
एक सौंधी सी महक,वातावरण में  घुल गयी है
हो गयी है तृप्त धरती,प्रेमरस  से धुल गयी है
वृक्ष पत्तों से लिपट कर,टपकती जल बूँद है यूं
याद में अपने पिया की ,बहाती विरहने  आंसूं
पांख भीजे,पंछियों के,अब जरा कम है चहकना
झांकता  सुन्दर बदन जब भीगती है श्वेत वसना
बड़ा ही मदमस्त मौसम,सभी को करता  दीवाना
आ गया,मन भा गया,बरसात का मौसम सुहाना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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