नाम पर मत जाओ
सूर है सूरज में,सूर याने चक्षु हीन,
सबको पथ दिखलाता,जग मग कर के जगती
सूरज में रज भी है,रज याने धूलि कण,
जा न सके सूरज तक, बहुत दूर है धरती
इसीलिये कहता हूँ,नाम पर मत जाओ,
डंक बड़ा चुभता है,पर बजता है डंका
नाम भ्रमित करते है,माला के दाने का,
वजन एक माशा है,पर कहलाता मनका
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
786. नव वर्ष (20 हाइकु)
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नव वर्ष
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1.
मन में आस-
नव वर्ष की भोर
हो पुनर्जन्म।
2.
लेकर आशा
नव वर्ष है आया
शुभ सन्देश।
3.
उँगली थामे
नव वर्ष की भोर
घूमने चली।
4.
चहकती है
नव वर...
4 घंटे पहले