आज छिटकी चांदनी है
मिलन की मधु यामिनी है
पूर्ण विकसा चन्द्रमा है
यह शरद की पूर्णिमा है
आओ आकर पास हम तुम
रचायें महारास ,हम तुम
राधिका सी सजो सुन्दर
मै तुम्हारा कृष्ण बन कर
बांसुरी पर तान छेड़ूं
मिलन का मधुगान छेड़ूं
रूपसी तुम मदभरी सी
व्योम से उतरी परी सी
थिरकती सी पास आओ
बांह में मेरी समाओ
प्यार में खुद को भिगो कर
दीवाने मदहोश होकर
रात भर हों साथ हम तुम
रचायें महारास हम तुम
चाँद सा आनन तुम्हारा
और नभ में चाँद प्यारा
मंद शीतल सा पवन हो
चमकता नीला गगन हो
हम दीवाने मस्त नाचें
लगे चलने गर्म साँसें
भले सब श्रिंगार बिखरे
मोतियों का हार बिखरे
जाय कुम्हला ,फूल ,गजरा
आँख से बह चले कजरा
तन भरे उन्माद हम तुम
रचायें महारास हम तुम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
मिलन की मधु यामिनी है
पूर्ण विकसा चन्द्रमा है
यह शरद की पूर्णिमा है
आओ आकर पास हम तुम
रचायें महारास ,हम तुम
राधिका सी सजो सुन्दर
मै तुम्हारा कृष्ण बन कर
बांसुरी पर तान छेड़ूं
मिलन का मधुगान छेड़ूं
रूपसी तुम मदभरी सी
व्योम से उतरी परी सी
थिरकती सी पास आओ
बांह में मेरी समाओ
प्यार में खुद को भिगो कर
दीवाने मदहोश होकर
रात भर हों साथ हम तुम
रचायें महारास हम तुम
चाँद सा आनन तुम्हारा
और नभ में चाँद प्यारा
मंद शीतल सा पवन हो
चमकता नीला गगन हो
हम दीवाने मस्त नाचें
लगे चलने गर्म साँसें
भले सब श्रिंगार बिखरे
मोतियों का हार बिखरे
जाय कुम्हला ,फूल ,गजरा
आँख से बह चले कजरा
तन भरे उन्माद हम तुम
रचायें महारास हम तुम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'