बदलती पहचान
जब मैं बच्चा था तो मेरी दादी
मुझे अपनी गोद में लेकर थी घुमाती
पास पड़ोस सबका प्यार पाता था
*दादी के घोटू*के नाम से जाना जाता था
थोड़ा बड़ा हुआ तो स्कूल जाने लगा
पढ़ने लगा और अच्छे नंबर पाने लगा
कुछ कविताएं लिखकर सुनाने लगा
*वकील साहब बाहेतीजी के पुत्र *के नाम से जाने जाने लगा
फिर पढलिख कर मैंने इंजीनियरिंग किया किस्मत ने एक अच्छा सा जॉब मिल गया अच्छी पोजीशन में खाने कमाने लगा
तब मैं *मदन मोहन *अपने नाम से जाने जाने लगा
तब तक मेरे बेटे ने लगा ली फैक्टरी मेहनत करके खूब तरक्की करी
तब तक मैं भी हो गया था रिटायर
मेरी पहचान बनी *आशीष सर के फादर*
और फिर दिल्ली आकर बेटी श्वेता ने यूट्यूब पर रिलीज किया भजन और गाने उसकी पापुलैरिटी में हो गया इजाफा
मेरी पहचान बनी *श्वेता के पापा *
अब मेरा प्यारा सा पोता है दिव्यान इन्वेस्टमेंट के फील्ड में बना रहा है पहचान आज मैं सच्चे दिल से कहना यह चाहूं *दिव्यान के दादा* के रूप में मैं पहचान जाऊं
मदन मोहन बाहेती घोटू
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