नजरिया बदलो
यह बुढ़ापा उम्र का वह दौर है
होती नजरे आपकी कमजोर है
मगर चढ़ता चश्मा है जब आंख का
बदल जाता नजरिया है आपका
इस तरह संकेत ईश्वर दे रहा
बदल दो तुम सोचने का नजरिया
भूल जाओ मानसिकता रौब की
लोग घर के तुमसे डरते थे कभी
तुम रिटायर हुए, बूढ़े हो रहे
पहले जैसे काम के अब ना रहे
लाओ अपनी सोच में बदलाव तुम
नम्रता की भावना अपनाओ तुम
इसके पहले की अपेक्षा वह करें
प्यार बरसा, आप सब का मन हरे
साफ जैसे पहन चश्मा दिखेगा
सोच बदलो तो करिश्मा दिखेगा
बड़प्पन जो थोड़ा सा दिखलाओगे
प्यार और सम्मान सबका पाओगे
आपकी कोशिश यह रंग लाएगी
हंसते-हंसते जिंदगी कट जाएगी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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