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शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

इन्तजार

हर घड़ी  मैं घड़ी देखता ही रहा ,
तेरा दीदार हो ,आयी ना वो घड़ी
बेकरारी बढ़ी ,तू है प्यारी बड़ी ,
तेरी तस्वीर मैंने है दिल में मढ़ी
सपने बुनता रहा ,सर मैं धुनता रहा ,
थी निगाहें मेरी ,द्वार पर ही अड़ी
तू नहीं बेवफ़ा ,ना तू मुझसे खफ़ा ,
कौनसी बेबसी ,विपदा आ के पड़ी
मुश्किलें थी बड़ी ,सर उठाये खड़ी ,
कब कहाँ हो गयी है कोई गड़बड़ी
अश्क बहते रहे ,पीर सहते रहे ,
हर घडी लगता था ,सामने तू खड़ी

घोटू 

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