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शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

दो दो लाइना

पहली सुबह धुंध वाली है ,सूरज भी है बुझा बुझा
जैसे हो नाराज बहू से ,मुंह सास का सुझा सुझा

ख़ामोशी जैसी छाई है ,लगते है हालत वही
पतिदेव नाराज हो गए ,मिली सुबह की चाय नहीं

बिगड़ा वातावरण ठंड में ,आयी है आफत गहरी
घर गंदा ,बर्तन जूंठे है ,छुट्टी चली गयी मेहरी

कोहरे की चादर ओढ़े है ,ये पृथ्वी चुपचाप पड़ी
मुझे रजाई छोड़,जगाने की जिद पर तुम मगर अड़ी

ओस पेड़ पत्तों से टपके ,तनिक हवा जो चल जाए
जैसे याद पिया की आये ,विरहन आंसूं टपकाये

मुड़े तुड़े घर के कोने में ,बिखरे है कल के अखबार
ज्यों किसान आंदोलन करते ,हो दिल्ली की सीमा पार

घोटू 

1 टिप्पणी:

  1. नव वर्ष में नव पहल हो
    कठिन जीवन और सरल हो
    नए वर्ष का उगता सूरज
    सबके लिए सुनहरा पल हो

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    नववर्ष की मंगलकामनाएं आपको

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