महरियों की स्ट्राइक
अगर महरियां चली जाय स्ट्राइक पर ,
तो क्या होगा घर की मेम साहबों का
देर सुबह तक लेती दुबक रजाई में ,
क्या होगा उन प्यारे प्यारे ख्वाबों का
घर में बिखरा कचरा मौज मनाएगा ,
सीकें झाड़ू की चुभ कर नहीं उठाएगी
प्यासी फरश बिचारी यूं ही तरसेगी ,
चूड़ी खनका,पोंछा कौन लगाएगी
जूंठे बरतन पड़े सिंक में सिसकेंगे ,
कौन उन्हें स्नान करा कर पोंछेंगा
मैले कपडे पड़े रहेंगे कोने में ,
नहीं कोई धोने की उनको सोचेगा
क्योंकि सुबह से ऑफ मूड हो मेडम का
उनके सर में दर्द ,कमर दुखती होगी
पतिजी सर सहला कर चाय पिलायेंगे
नज़रद्वार पर जा जा कर रूकती होगी
खुदा करे स्ट्राइक टूटे जल्दी से
और मेहरी देवी के दरशन हो जायें
दूर बिमारी मेडम की सब हो जाए ,
साफ़ और सुथरा घर और आंगन हो जाए
वरना विपत्ति पहाड़ गिरेगा पतियों पर ,
सुबह शाम खाना आएगा ढाबों का
अगर मेहरियां चली जाय स्ट्राइक पर ,
तो क्या होगा घर की मेम साहबों का
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।