नववर्ष
कल ,
दिन बदल जाएगा
महीना बदल जाएगा
वर्ष बदल जाएगा
तारीख बदल जायेगी
कैलेंडर बदल जाएगा
डायरी बदल जायेगी
और तो और ,
सूरज के उगने और
अस्त होने का,
समय भी बदल जाएगा
नहीं बदलेगा तो आसमान,
जो जितना विस्तृत था ,
उतना ही विस्तृत रहेगा
और मेरा तुम्हारे प्रति प्यार ,
नए वर्ष के आ जाने पर भी,
जैसा पहले था वैसा ही रहेगा
अक्षुण था और अक्षुण ही रहेगा
हमेशा की तरह
हमेशा
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।