प्रभु सुमिरण
१
भरी ताजगी हो सुबह ,और सुहानी शाम
ये जीवन चलता रहे,हंसी ख़ुशी, अविराम
मेहनत ,सच्ची लगन से ,पूरे हो सब काम
भज ले राधेश्याम तू ,भज ले सीताराम
२
ऊधो से लेना न कुछ,ना माधो का देन
चिंता हो ना चाहतें ,कटे यूं ही दिन रेन
तुम अपने घर चैन से और हम अपने धाम
भज ले राधेश्याम तू ,भज ले सीताराम
३
मोह माया सब छोड़ दे ,झूठा है संसार
रह सब संग सद्भाव से ,खूब लुटा तू प्यार
तुम्हारे सद्कर्म ही,आय अंत में काम
भेज ले राधेश्याम तू,भजले सीताराम
४
बहुत हुआ अब छोड़ दे,वैभव,भोग विलास
दान ,दया और धर्म से मिट जायेगे त्रास
प्रभु का सुमरण ही करे ,तुम्हारा कल्याण
भजले राधे श्याम तू,भजले सीताराम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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