एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

बुधवार, 31 जनवरी 2018

प्रभु सुमिरण 
१ 
भरी ताजगी हो सुबह ,और सुहानी शाम 
ये जीवन चलता रहे,हंसी ख़ुशी, अविराम 
मेहनत ,सच्ची लगन से ,पूरे हो सब काम 
भज ले राधेश्याम तू ,भज ले सीताराम 
२ 
ऊधो से लेना न कुछ,ना माधो का देन 
चिंता हो ना चाहतें ,कटे यूं ही दिन रेन 
तुम अपने घर चैन से और हम अपने धाम 
भज ले राधेश्याम तू ,भज ले सीताराम 
३ 
मोह माया सब छोड़ दे ,झूठा है संसार 
रह सब संग सद्भाव से ,खूब लुटा तू प्यार 
तुम्हारे सद्कर्म ही,आय अंत में काम 
भेज ले राधेश्याम तू,भजले सीताराम 
४ 
बहुत हुआ अब छोड़ दे,वैभव,भोग विलास 
दान ,दया और धर्म से मिट जायेगे त्रास 
प्रभु का सुमरण ही करे ,तुम्हारा कल्याण 
भजले राधे श्याम तू,भजले सीताराम      

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-