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गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

गृहस्थी का संगीत 

जीवन के पल पल में साँसों की हलचल में ,
संगीत का होता वास है 
संगीत की सरगम ,सारेगम भुला देती है ,
और जीवन में  भरती मिठास है 
शादी के बाद जब ,
आपको मिल जाता है अपना मनमीत 
तो आपके जीवन में ,
गूंजने लगता है ,गृहस्थी का संगीत 
मेरी ये मान्यता है 
कि सुरो के संगीत और गृहस्थी के संगीत में ,
काफी समानता है 
ससुराल में ,पति के अलावा ,
होते दो प्राणी खास है 
और वो ,एक आपके ससुर ,
और दूसरी आपकी सास है 
देखिये ,गृहस्थी के संगीत में भी सुर आ गया 
ससुराल का मुख्य सुर,ससुर आ गया 
यदि आपके सुर मिल जाते है ,
ससुर के सुर के संग 
तो समझलो,आपने जीत ली आधी जंग 
और जहाँ तक है सास की बात 
तो यहाँ भी संगीत जैसे होते है हालात 
संगीत के स्वर 'सा रे ग  प ध नी स '
'सा 'से शुरू होकर 'स'पर होते है समाप्त 
याने' सा स 'के बीच ही सारे सुर है व्याप्त 
इसमें जेठ,जिठानी भुवा देवर और ननद 
जैसे सभी स्वर समाहित है 
और इन सबको साधने में ही आपका हित है 
 आपको इन सबके साथ सामंजस्य बिठाना होता है 
उनकी ताल पर गाना होता है 
इन सभी के साथ यदि मिलाली अपनी तान 
तो ससुराली जीवन में ,कभी नहीं होगी खींचतान 
सुर मय हो जाएगा आपका जीवन ,
 सुहाने दिन होंगे,सुरमयी शाम 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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