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बुधवार, 24 अगस्त 2016

मगर मस्ती नहीं करता

       मगर मस्ती नहीं करता

मै हरदम मस्त रहता हूँ,मगर मस्ती नहीं करता
मटर तो खूब खाता पर , मटरगश्ती  नहीं करता
हुआ अभ्यस्त जीने का ,मैं रह कर व्यस्त अपने में,
जबर तो लोग कहते पर  ,जबरजस्ती नहीं करता
न तो चमचागिरी आती,न मै मख्खन लगा पाता ,
स्वार्थ के वास्ते ,मैं आस्था ,सस्ती नहीं करता
अगर जो तनदुरस्ती है ,हजारों ही नियामत है ,
इसलिए चुस्त मै रहता ,तनिक सुस्ती नहीं करता
खुदा ही एक हस्ती है,जो मेरे मन में बसती है,
किसी भी और की लेकिन ,परस्ती मैं नहीं करता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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