वह सुबह तो आएगी
कोई भी आदमी ,सर्वगुण सम्पन्न नहीं होता ,
गलतियां हर एक से हुआ करती है
पर जो काम किया करते है ,
उन्ही से तो होती गलती है
कमी, किसमे नहीं होती,
कौन शतप्रतिशत नम्बर पाता है
पर साठ प्रतिशत से अधिक नंबर पानेवाला ,
भी 'फर्स्ट क्लास'कहलाता है
अल्लाह मियां भी कभी कभी गलती कर देता है
किसी किसी को पांच की जगह ,
छह उँगलियाँ दे देता है
गलतियां निकालना बड़ा सरल होता है,
ये बात जग जाहिर है
और अकर्मण्य ,जो खुद कुछ नहीं करते,
दूसरे गलती निकालने में ,होते माहिर है
आपको ,अपनी की हुई गलतियां,नज़र नहीं आती,
जब तक कि कोई आलोचक न हो
पर वो आलोचनाएं ,सुधारक नहीं होती है ,
जो स्वस्थ न हो
और पूर्वाग्रह से ग्रस्त न हो
ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान ही मत दो,
वरना पछतायेंगे
कीचड़ में पत्थर फेंकोगे तो
छींटे आप पर ही आएंगे
अगर कोई रिएक्ट नहीं करेगा ,
तो वो अपने आप ही चुप हो जाएंगे
केंकड़ों की तरह ,एक दुसरे की टांग खींच,
किसी को भी ,गड्ढे से निकलने से रोकना ,
गलत है
कोई आगे बढ़ना चाहता है ,
तो उसकी राह में रोड़े अटका कर ,
आगे न बढ़ने देना गलत है
प्रगति को गति तब मिलती है,
जब सब मिल कर ,देश को आगे धकेले
कोई भी चना ,भाड़ नहीं फोड़ सकता,अकेले
आओ ,हम सब एक जुट होकर ,
देश को प्रगतिपथ पर बढ़ा दे
वैमनस्यता की कुछ लकीरे ,
जो जाने अनजाने खिंच गयी है ,
प्यार के 'इरेजर'से उन्हें मिटा दे
भाईचारे की फसल को ,
अगर सब मिल कर ,प्यार से सींचेंगे ,
तभी तो समृद्धि की फसल लहलहायेगी
वह सुबह कभी तो आएगी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई भी आदमी ,सर्वगुण सम्पन्न नहीं होता ,
गलतियां हर एक से हुआ करती है
पर जो काम किया करते है ,
उन्ही से तो होती गलती है
कमी, किसमे नहीं होती,
कौन शतप्रतिशत नम्बर पाता है
पर साठ प्रतिशत से अधिक नंबर पानेवाला ,
भी 'फर्स्ट क्लास'कहलाता है
अल्लाह मियां भी कभी कभी गलती कर देता है
किसी किसी को पांच की जगह ,
छह उँगलियाँ दे देता है
गलतियां निकालना बड़ा सरल होता है,
ये बात जग जाहिर है
और अकर्मण्य ,जो खुद कुछ नहीं करते,
दूसरे गलती निकालने में ,होते माहिर है
आपको ,अपनी की हुई गलतियां,नज़र नहीं आती,
जब तक कि कोई आलोचक न हो
पर वो आलोचनाएं ,सुधारक नहीं होती है ,
जो स्वस्थ न हो
और पूर्वाग्रह से ग्रस्त न हो
ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान ही मत दो,
वरना पछतायेंगे
कीचड़ में पत्थर फेंकोगे तो
छींटे आप पर ही आएंगे
अगर कोई रिएक्ट नहीं करेगा ,
तो वो अपने आप ही चुप हो जाएंगे
केंकड़ों की तरह ,एक दुसरे की टांग खींच,
किसी को भी ,गड्ढे से निकलने से रोकना ,
गलत है
कोई आगे बढ़ना चाहता है ,
तो उसकी राह में रोड़े अटका कर ,
आगे न बढ़ने देना गलत है
प्रगति को गति तब मिलती है,
जब सब मिल कर ,देश को आगे धकेले
कोई भी चना ,भाड़ नहीं फोड़ सकता,अकेले
आओ ,हम सब एक जुट होकर ,
देश को प्रगतिपथ पर बढ़ा दे
वैमनस्यता की कुछ लकीरे ,
जो जाने अनजाने खिंच गयी है ,
प्यार के 'इरेजर'से उन्हें मिटा दे
भाईचारे की फसल को ,
अगर सब मिल कर ,प्यार से सींचेंगे ,
तभी तो समृद्धि की फसल लहलहायेगी
वह सुबह कभी तो आएगी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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