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रविवार, 29 नवंबर 2015

      बिमारी और इलाज

छोटी सी सर्दी खांसी थी ,ठीक स्वयं हो जाती
तंग करती दो चार दिवस या हफ्ते भर में जाती
शुभचिंतक मित्रों ने देकर तरह तरह की रायें
बोले भैया ,किसी डॉक्टर ,अच्छे को दिखलायें
कहा किसी ने बीपी देखो,ब्लड टेस्ट करवाओ
कोई बोला काढ़ा पियो, ठंडी चीज न खाओ
कहे कोई लो चेस्ट एक्सरे ,कोई देता चूरण
कोई कहता होम्योपैथी की गोली खाए हम
चार डॉक्टरों के चक्कर में ,पैसा खूब उड़ाया
मुझे बिमारी ने घेरा या मैंने ही घिरवाया
एक्यूप्रेशर भी करवाया ,दस दस गोली खाई
दिन दिन बढती गई बिमारी,ठीक नहीं हो पाई
गया उलझता इस चक्कर में ,परेशान,बेचारा
तरह तरह इलाज करा कर ,बुरी तरह से हारा
माँ बोली कि बहुत हुआ अब छोड़ दवाई  बेटा
यूं ही डॉक्टरों के चक्कर में ,तू बीमार बन बैठा
बिगड़ी  हालत हुई, हो गए तन के पुर्जे  ढीले
तू है स्वस्थ ,सोच बस इतना,हंसी खुशी से जी ले


मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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