क्या हुआ जो
कुछ मिला तो
कुछ नहीं मिला,
क्या हुआ जो
कुछ खो गया तो
कुछ छिन गया...
देखो तो जरा गौर से
रह गया होगा बहुत कुछ
अब भी तुम्हारे पास,
देखो आ गया होगा
कुछ कीमती-कुछ खास
चुपके से तुम्हारे पास...
और अगर नहीं
तो रुको जरा
थोड़ा सब्र करो,
क्योंकि -
देर या सबेर
वो देता जरूर है,
उजाला कभी ना कभी
होता जरूर है,
याद रहे मकसद
छोटा हो या बड़ा हो,
पर रास्ते में इम्तहान
होता जरूर है...
- विशाल चर्चित
बहुत सुंदर और शानदार रचना की प्रस्तुति।
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