एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

शुक्रिया

            शुक्रिया

जिंदगी बन गयी मेरी ,एक सुन्दर ,मधुर धुन,
मेरे सुर से मिलाया ,तुमने, उस सुर का शुक्रिया
जिनने अपनी पाली पोसी ,बेटी मुझको सौंप दी,
शुक्रिया उस सास का और उस ससुर का शुक्रिया
मै तो था एक गोलगप्पा ,हल्का फुल्का ,बेमज़ा,
खट्टा मीठा पानी बन कर ,स्वाद तुमने भर दिया
मेरे मन में चुभ के मुझको ,पीर मीठी दे गयी,
मिल गयी मेरी नज़र से,उस नज़र का शुक्रिया
दिल का मेरे चमन सूखा था,बड़ा बदहाल था ,
तुमने सींचा प्यार रस से ,और महक से भर दिया
 जिसने लायी जिंदगी में ,बहारें और मस्तियाँ  ,
उस गुले गुलजार का ,जाने जिगर का शुक्रिया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-