एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 28 नवंबर 2013

गांधी जी

             गांधी जी

कहते तो हैं वो गाधीजी को राष्ट्र का पिता ,
               बेटों ने अपने बाप के संग,देखो क्या किया
गड्ढों  भरी कुछ सड़कें बची ,उनके नाम की ,
              गांधीजी के सिद्धांतों को,सबने भुला दिया
लाखों ,करोड़ो नोटों पे,गांधी को छाप के ,
                रिश्वत के लेन देन  का,जरिया बना दिया
 गांधी की टोपी पहन के ,नेताजी बन गए ,
                  खद्दर पहन के खुद का मुकद्दर  बना लिया
गांधी का नाम लेके सत्ता से चिपक गये ,
                   जम्हूरियत को पुश्तेनी ,धंधा बना दिया
मारी थी गोडसे ने सिरफ तीन गोलियां,
                    सीने को इनने गांधी के ,छलनी बना दिया
गांधी को बेच बेच के,लिंकन को खरीदा ,
                     जाकर विदेशी बेंक में ,सारा  जमा किया
गांधी का सपना कोई मुकम्मल नहीं किया ,
                     सपनो को उनने अपने ,मुकम्मल बना लिया

मदन मोहन बाहेती'घोटू'                     

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-