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शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

पत्नियां भारी पड़े है

          
          पत्नियां भारी पड़े है
आप माने या न माने बात पर ये है हकीकत ,
पतियों पर हमेशा ही,पत्नियां भारी पड़े है
बात मेरी ना तुम्हारी ,हरेक घर का है ये किस्सा ,
हार जाते सूरमा भी,इनसे जब नयना लड़े है
चाहते है आप गर ये ,शांति हो,सदभाव घर में ,
बात बीबी कि हमेशा ,मानना तुमको पडेगा
उनकी सब फरमाइशों की,पूर्ती करना है जरूरी ,
राज़ सुखमय गृहस्थी का ,जानना तुमको पडेगा
पत्नीजी के हर कथन को ,श्लोक गीता का समझना ,
होता है चौपाई मानस की वचन जो भी कहे वो
उनकी हाँ में हाँ मिलाओ,गहने लाओ ,गिफ्ट लाओ ,
ग़र्ज ये है करो वो सब ,जिससे खुश हरदम रहे वो
अगर वो खुश,खुशी घर में,वो दुखी तो घर दुखी है,
वो है भूखी तो तुम्हे भी ,भूखा ही रहना पडेगा
बात उनकी गलत भी हो,मानना तुमको पड़ेगी ,
रात को वो दिन कहे तो,तुम्हे भी कहना पडेगा
एक समझौता है शादी ,मगर ये होता हमेशा ,
पत्नियां झुकती नहीं है,पति ही है नमा करता
पति कि यह दुर्गति क्यों,सताया जाता पति क्यों ,
बलि का बकरा हमेशा ,पति ही क्यों बना करता
जरा सी टेढ़ी भृकुटी कर,देखती जब वो पति को ,
तो बिचारे आदमी का ,सदा ब्लड प्रेशर  बढे है
आप माने या न माने ,बात पर ये है हक़ीक़त ,
पतियों पर हमेशा ही,पत्नियां भारी पड़े है
पति की सारी कमाई ,की प्रथम अधिकारिणी वो,
क्योंकि फेरे सात लेकर ,उनके संग बंधन बंधा है
यदि कोई दिन अचानक ,वो दिखाये प्यार ज्यादा ,
समझलो कि आज तुमको ,लूटने की ये अदा है
कैसा भी हो रूप उनका ,दिखाना तुमको पडेगा ,
दुनिया की सबसे हसीं ,औरत वो तुम्हारी नज़र में
भूल कर भी ,किसी औरत ,की कभी तारीफ़ न करना ,
वरना फिर ये तय समझ लो,खैर तुम्हारी न घर में
उन्हें अच्छी चाट लगती ,आलू टिक्की ,गोलगप्पे ,
तुम भी अपना स्वाद बदलो ,उनके संग जा,खाओ बाहर
जाओ होटल में भी पर ये,बात कहना भूलना मत ,
तुम्हारे हाथों के खाने की नहीं लज्जत यहां पर
औरतों को समझ पाना ,दुनिया में सबसे कठिन है ,
खुदा भी ना समझ पाया ,समझेंगे क्या खाक ,हम तुम
ऱाज की एक बात लेकिन,बताता हूँ ,कोई औरत ,
अगर शरमा कर कहे 'ना'तो उसे 'हाँ'समझना तुम
खुशियों की  बरसात होगी ,सुहानी हर रात होगी ,
प्यार से औरत पिघलती ,भले ही तेवर कड़े है
आप माने या न माने ,बात पर ये है हक़ीक़त ,
पतियों पर हमेशा ही,पत्नियां भरी पड़े है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'




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