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गुरुवार, 21 सितंबर 2023

शौक जवानी वाले


है तन में थोड़ी कमजोरी ,

और कई बीमारी पाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

 पर  शौक जवानी वाले हैं 


घर की रोटी और दाल छोड़,

बाहर होटल में खाते हैं 

या फिर स्विगी को ऑर्डर दे,

पिज़्ज़ा बर्गर मंगवाता है 

है गरम कचोरी मनभाती ,

या खाते छोले भटूरे हैं 

रबड़ी केऔर जलेबी के ,

हम अब भी आशिक पूरे हैं 

दो घूंट कभी गटका लेते,

तो हो जाते मतवाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी 

पर शौक जवानी वाले हैं 


अब भी हम पहना करता हैं 

 कपड़े रंगीन और चटकीले 

पूरे फैशन के मारे हैं,

और शोक हमारे रंगीले 

सागर तट पर सैर सपाटा ,

हमको बहुत सुहाता है 

लहरों के संग,अठखेली में 

 मजा बहुत ही आता है 

अपने मन को बहलाने के 

यह सब अंदाज निराले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

पर शौक जवानी वाले हैं 


अब भी आशिक मिजाज है दिल 

जो देख हुस्न, ललचाता है 

पाने को साथ जवानी का ,

मन तरसा तरसा जाता है 

मन देश विदेश घूमने को 

अब भी आतुर रहता हरदम 

बस यूं ही उछालें भरता है,

हालांकि बचा ना कुछ दम खम 

खुद को जवान समझने की,

हम गलतफहमियां पाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

पर शौक जवानी वाले हैं


मदन मोहन बाहेती घोटू

आती है मां याद तुम्हारी


तेरी सूरत प्यारी प्यारी

आती है मां याद तुम्हारी


तूने जन्म दिया और पाला 

अपने हाथों खिला निवाला 

दूध पिलाया ,चिपका छाती 

लोरी गा तू मुझे सुलाती 

मैं रोया , तुमने पुचकारा 

स्वार्थहीन था प्यार तुम्हारा 

मेरी बाल सुलभ कीड़ा पर, 

बार-बार जाती बलिहारी 

आती है मां याद तुम्हारी 


तूने अक्षर ज्ञान कराया 

चलना,उंगली पकड़ सिखाया 

जब भी गिरा ,उठाया तूने 

ढाढस दे,समझाया तूने 

हर सुख दुख में साया तेरा 

हरदम बना ,सहायक मेरा 

तेरे ही आशीवादों से,

 मैं जीवन में बड़ा अगाड़ी 

आती है मां याद तुम्हारी 


आज तू नहीं ,तेरी यादें 

रखती परिवार को बांधे 

सब बेटी बेटे तुम्हारे 

हैं संपन्न ,सुखी है सारे 

अब भी वरदहस्त तुम्हारा 

देता हमको सदा सहारा 

तेरी शिक्षा ,तेरी दिक्षा,

 सदा प्रेरणा बनी हमारी 

आती है मां याद तुम्हारी


मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 17 सितंबर 2023

नवदुर्गा

देखो आई आई नवरात 
दरश नव दुर्गा का 
सब देवेंगी आशीर्वाद ,
दरश नव दुर्गा का

पहली देवी शैलपुत्री है 
यह तो सती जी का है अवतार
 दरश नव दुर्गा का 

दूजी देवी ब्रह्मचारिणी,
आई वस्त्र श्वेत ये धार
दरश नव दुर्गा का 

चंद्रघटा है तीजी देवी ,
भक्ति शक्ति अपार 
दरश नव दुर्गा का 

चौथी देवी कूष्मांडा है , 
रचा जिसने सकल संसार ,
दरश नव दुर्गा का 

स्कंधमाता देवी पांचवी,
करें कार्तिकेय से प्यार
दरश नव दुर्गा का 

छठवीं देवी कांतायनी मां ,
 ये है शक्ति का भंडार 
दरश नव दुर्गा का 

सातवीं देवी कालरात्रि है ,
करे दुष्टों का संहार,
दरश नव दुर्गा का 

महागौरी है देवी आठवीं ,
सुंदर,शांत व्यवहार 
दरश नव दुर्गा का 

नवमी देवी सिद्धिदात्री ,
करे सब पर कृपा अपार 
दरश नव दुर्गा का 

करके दर्शन नव देवी का 
पाएं आशीर्वाद सभी का 
होगा जीवन में आल्हाद,
दरश नव दुर्गा का 
देखो आई आई नवरात
 दरश नव दुर्गा का

मदन मोहन बाहेती घोटू

बोलो श्याम श्याम श्याम


मेरे मन के अंदर श्याम 

मेरे तन के अन्दर श्याम

मेरे रोम रोम में श्याम 

जपता हूं मैं सुबह शाम

बोलो श्याम श्याम श्याम 


बाबा नंद जी के दुलारे 

मैया जसमत के तुम प्यारे

कभी गोकुल गांव के ग्वाले 

वन में धेनु चराने वाले 

बालक रूप धरे भगवान 

बोलो श्याम श्याम श्याम 


कभी माखन हो चुराते 

कभी गोपी को सताते 

कभी बांसुरी हो बजाते 

जमुना तट पर रास रचाते 

ऐसे प्यारे तुम घनश्याम 

बोलो श्याम श्याम श्याम 


तुम हो बांके बहुत बिहारी 

तुम बनवारी,किशन मुरारी 

कभी हो मोर मुकुट के धारी 

सोलह कला के अवतारी 

कैसी सुंदर छवि अविराम 

बोलो श्याम श्याम श्याम 




जय जय कृपासिंधु सब लायक

सुमिरन तुम्हारा सुखदायक

तुम हो महाभारत के नायक 

जय जय गीता ज्ञान के गायक 

जाकर बसे द्वारका धाम 

बोलो श्याम श्याम श्याम


जय जय चक्र सुदर्शन धारी

मन में बसी है छवि तुम्हारी

कितनी सुन्दर कितनी प्यारी

दर्शन दे दो ओ गिरधारी

तुमको कोटि कोटि प्रणाम

बोलो श्याम श्याम श्याम



मदन मोहन बाहेती घोटू

बोलो श्याम श्याम श्याम

मेरे मन के अंदर श्याम 
मेरे तन के अन्दर श्याम
मेरे रोम रोम में श्याम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

बाबा नंद के दुलारे 
मैया जसमत के प्यारे
कभी गोकुल के ग्वाले 
वन में धेनु चराने वाले 
बालक रूप धरे भगवान 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

कभी माखन चुराते 
कभी गोपी को सताते 
कभी बांसुरी बजाते 
कभी रास रचाते 
ऐसे प्यारे हैं घनश्याम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

कभी बनवारी गिरधारी 
कभी किशन मुरारी 
कभी मोर मुकुट के धारी 
सोलह कला के अवतारी 
कैसी सुंदर छवि अभिराम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

जय जय चक्र सुदर्शन धारक 
मामा कृष्ण के संहारक 
महाभारत के तुम नायक 
गीता ज्ञान के तुम गायक 
जाकिर बसे द्वारका धाम 
बोलो श्याम श्याम श्याम

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 13 सितंबर 2023

 बोल्ड ब्यूटी  तीन चौके 


एक


नजर तिरछी डाल हम पर, हमको बोअर कर दिया 

जो खुला था ,बंद उनने ,दिल का डोअर कर दिया 

टेढ़े मेढ़े दांत दिखला, मुस्कुराए इस तरह,

टेस्ट मुंह का था जो मीठा, वह भी सोअर

 कर दिया 


दो 


था बदन फुटबॉल सा हम देख आउट हो गए 

बोल्ड ब्यूटी देख , बोअर, बिना डाउट हो गए 

 एचकतानी आंख थी और कान ऐसे लटकते ,

भिगोने से चाय में जैसे कि बिस्किट हो गए 


तीन


नाक थी उनकी निराली,नल की टोटी की तरह 

फेस था उनका जड़ाऊ ,जली रोटी की तरह 

चलते थे तो झूलती थी ,हाय उनकी चोटियां ,

सूखती जैसे हवा में ,हो लंगोटी की तरह


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

विनती परमेश्वर से 

विनती है तुझसे परमेश्वर 
मुझे बुलाए जब अपने घर 
मत देना व्याधि का संकट 
लेना मुझे बुला तू झटपट 
रुग्णालय में रहूं तड़पता,
 ऐसा बुरा नसीब ना देना 
मेरे कारण कभी किसी को,
होने कुछ तकलीफ न देना 

मोहजाल में फंसा हुआ मैं 
जल्दी से अब जाऊं निकलता 
आया था मैं रोता रोता 
लेकिन जाऊं हंसता हंसता 
बना रहे परिवारजनों में 
प्यार भाव पहले ही जैसा 
उन पर विपदा कोई ना आए 
सुख शांति से रहे हमेशा 
हो समृद्ध ,प्रफुल्लित जीवन ,
कभी किसी को टीस न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना 

जीवन भर सत्कर्म किए हैं 
नहीं दुखाया कोई का दिल 
बस इतनी तू कृपा बनाना,
जगह स्वर्ग में जाए मुझे मिल 
मेरी अर्धांगिनी पत्नी ने ,
ख्याल रखा है मेरा हर क्षण 
इसीलिए विनती है जब तक 
वह जिए बन रहे सुहागन 
परेशानियां कोई उसके 
आने कभी करीब न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना 

मन में गिला न शिकवा कोई 
नहीं किसी से रुष्ट रहूं मैं
जिऊं एक संपूर्ण जिंदगी 
और सदा संतुष्ट रहूं मैं
क्षणभंगुर जीवन में जब भी 
आए जुदाई का जब वह पल 
मुंह पर तेरा नाम बसा हो 
हो मुस्कान मेरे चेहरे पर 
कोई दुख को या पीड़ा को 
आने मेरे समीप न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 31 अगस्त 2023

भजन

मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना 
मेरे मुख हो तेरा नाम ,स्वर्ग में ले जाना
 मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना 
 
भक्ति भाव से मैं जीवन में 
डूबा रहा भजन कीर्तन में 
मैंने हर दिन सांझ सवेरे 
गायें हैं भगवन गुण तेरे 
किए दर्शन चारों धाम ,स्वर्ग में ले जाना 
मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना

दुख ना दिया किसी को भगवन 
सत्कर्मों से जिया जीवन 
दीन दुखी की सेवा कर कर 
आशिशों से झोली भरकर 
नहीं किया बुरा कोई काम, स्वर्ग में ले जाना 
मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना

 चौरासी योनी का चक्कर 
 मुझको मुक्त कराना ईश्वर 
 पार बेतरणी करवा देना 
 मुझको मोक्ष दिला तू देना 
 तुझे कोटि-कोटि प्रणाम, स्वर्ग में ले जाना 
 मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना

मदन मोहन बाहेती घोटू 
करवा चौथ 

देखो प्यार की रीत निराली 
आई करवा चौथ है प्यारी 
यह है उत्सव अमर सुहाग का 
पति पत्नी के अनुराग का 

मेहंदी हाथों में रचाई 
नई चूड़ियां खनकाई 
पहने गोटे की चुनरिया 
गोरी फिर से बनी दुल्हनिया
किए पूरे सोलह सिंगार रे 
आज साजन लुटाएंगे प्यार रे

आई करवा चौथ है प्यारी
देखो प्रीत की रीत निराली 
यह है उत्सव अमर सुहाग का 
पति पत्नी के अनुराग का 

व्रत कर कुछ ना पिया खाया 
चंदा सा मुखड़ा मुरझाया 
चलनी से कर चंदा दरशन 
रात करवा पिलाएंगे साजन 
फिर लेगी थोड़ा सा आहार रे 
आज साजन लुटाएंगे प्यार रे

देखो प्यार की रीत निराली
आई करवा चौथ है प्यारी 
यह है उत्सव अमर सुहाग का 
पति पत्नी के अनुराग का

मदन मोहन बाहेती घोटू 
करवा चौथ 

देखो आई करवा चौथ,प्यार का पूजन रे 
गौरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे 

गोरे गोरे हाथों में मेहंदी रचा के 
गोरे गोरे तन पर चुनर लहराके 
हाथों में खनकती चूड़ियां है खनखन होठों पर लाली है आंखों में अंजन 
करेपूरे सोलह श्रृंगार, बने फिर दुल्हन रे 
देखो आई करवा चौथ, प्यार का पूजन रे 
गोरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे 

पिया हेतु व्रत करे,प्यार दिखलाए 
रहे भूखी दिन भर, कुछ भी न खाए 
रात करे छलनी से चंदा का दरशन 
करवे से अमृत पिलाते हैं साजन 
रहे अमर हजारों साल प्यार का बंधन रे
देखो आई करवा चौथ,प्यार का पूजन रे
 गोरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

रिश्ता चांद से

जिस चांद के प्रतिबिंब को ,
पानी की थाली में ,
बचपन में मैं 
अपने कोमल हाथों से
हिलाया डुलाया करता था 

जिस चांद को बड़े प्यार से
 मैं चंदा मामा कह कर 
 बुलाया करता था
 
जिस चांद की लोरी 
*चंदा मामा दूर के *
*पुए पकाए पूर के *
गा गा कर मां मुझे
दूध की घूंट पिलाती थी 

जिस चांद को देखकर ,
चौथ का व्रत किये,
दिनभर की भूखी मेरी मां ,
खाना खाती थी 

जिस चांद की तुलना
 बेटे से *चांद सा बेटा* कह कर 
 और प्रेमिका से 
* चांद सी महबूबा *कहकर की जाती है 
 
जिस चांद का नाम लेकर 
प्रथम मिलन की रात को 
दुनिया* हनीमून *मनाती है 

जिस तरह अपनी पत्नी के
 कोमल कपोलों पर 
 मेरे थरथराते होठों ने 
 प्यार का पहला चुंबन था चिपकाया
 
आज मेरे देश के वैज्ञानिकों ने
 उसी चांद पर 
 चंद्रयान है उतराया 
 
यह हमारे देश के वैज्ञानिकों की
तकनीकी उत्कृष्टता का सबूत हो गया है 

चांद से हमारा पुराना रिश्ता 
और भी मजबूत हो गया है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 23 अगस्त 2023

वशीकरण मंत्र

अपने नव विवाहित बेटे से पूछा उसकी मां ने 
बेटा ,क्या तेरी बहू जादू टोना है जाने 
पहले तू मेरे आगे पीछे घूमता था 
मेरी हर बात को सुनता था 
अब तुझे बात करने का भी टाइम नहीं मिल पाये हैं 
जब भी मिले, पत्नी के गुण गाये हैं 
तेरी बीवी ने ऐसा क्या जादू किया है 
जो चार दिनों में तुझे काबू किया है 
बेटा बोला ,अम्मा यही सवाल दादी ने पापा से किया था
 मेरा जवाब भी वही है, जो पापा ने दिया था 
 ये बात तो जानी मानी है
 हर घर की यही कहानी है
 वैसे यह वशीकरण मंत्र तू भी जाने हैं 
 तभी तो पापा तेरी हर बात माने हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 21 अगस्त 2023

जिंदगी की हकीकत

ढूंढ रहे क्यों दोष पराये , झांको अपने मन अंदर 
दुनिया भर की सारी कमियां, साफ आएंगे तुम्हें नज़र 
जिंदगी की हकीकत यही है 

देख पराई चिकनी चुपड़ी, मत मलाल मन में लाना 
तुम्हें पता है, तुमको घर की, रोटी दाल ही है खाना 
जिंदगी की हकीकत यही है 

कितनी पीड़ा सह सह तुमने, ये जो बच्चे पाले हैं 
बड़े हुए ,जब पंख लगेंगे ,सब उड़ जाने वाले हैं 
जिंदगी की हकीकत यही है 

तुमने खटकर,जोड़ तोड़कर, यह जो दौलत जोड़ी है 
साथ नहीं कुछ भी जानी है, यहीं पर जानी छोड़ी है 
जिंदगी की हकीकत यही है 

आज आज्ञाकारी बनते , काम नहीं कल आएंगे 
उंगली पकड़ सिखाया जिनको ,उंगली तुम्हें दिखाएंगे 
जिंदगी की हकीकत यही है 

जिनको तुम अपना कहते हो ,भूल जाएंगे सभी जने 
उनकी दीवारों पर कुछ दिन ,लटकोगे तस्वीर बने 
जिंदगी की हकीकत यही है 

अपने और पराये का तुम, मन में पालो नहीं भरम 
इसीलिए सत्कर्म करो तुम, साथ जाएंगे सिर्फ करम 
जिंदगी की हकीकत यही है

मदन मोहन बाहेती घोटू
हम भी खुश और अगला भी खुश

कई बार ऐसा होता कुछ
हम भी खुश और अगला भी खुश 

मैं भगवन को शीश नमाता 
श्रद्धा से परशाद चढाता 
वो ना खाते , मैं ही खाता 
पत्नी को भी शीश नमाता 
सारी तनख्वाह उसे थमाता 
उससे ले घर कर चलाता 
वह समझे, वो ही है सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

प्रभु जी का गुणगान करूं मैं 
कीर्तन भजन तमाम करूं मैं 
श्रद्धा सहित प्रणाम करूं मैं 
मैं पत्नी के भी गुण गाता 
सास ससुर को शीश नमाता 
ढेर प्यार पत्नी का पाता
वह न्योछावर करती सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

बच्चे सारे आए जिद पर 
नई लगी ,देखे वह पिक्चर 
पैसे मिले, गए खुश होकर 
अब घर में मैं और पत्नी थी 
सजी धजी और बनी ठनी थी 
तन्हाई में मौज मनी थी 
बहुत ही मज़ा आया सचमुच 
हम भी खुश और बच्चे भी खुश

मदन मोहन बाहेती घोटू 
टेंशन तुम मत लेना 

एक बात तुमसे कहता हूं, ध्यान सदा तुम देना 
चाहे जो कुछ भी हो जाए ,टेंशन तुम मत लेना 

जो बारिश कम, तुम्हें टेंशन 
बारिश ज्यादा तो भी टेंशन 
गर्मी पड़ती ,नहीं सुहाता 
बिजली जाती, टेंशन आता 
टेंशन ,आए डेंगू मच्छर 
टेंशन, महंगे हुए टमाटर 
टेंशन है बढ़ती महंगाई 
कुछ ना कुछ होता दुखदाई 
खुश होकर के खाओ पियो, 
जो भी मिले चबैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना 

एक बात सुन लो मेरे भाई 
पत्नी की मत करो बुराई 
चला रही है वही गृहस्थी
उसके कारण घर में बस्ती 
रखती वह बैलेंस बनाकर
सुख पाओ उसके गुण गाकर 
कभी झगड़ना मत पत्नी से 
उसे चाहना हरदम जी से 
उसकी सब की सब बातों पर 
सदा तबाज्जो देना
 कभी टेंशन तुम मत लेना 
 
 जो होना है सो होना है 
 तो फिर काहे का रोना है 
 कब क्या होगा किसने देखा 
 लिखा हुआ नियति का लेखा
 तो फिर क्यों चिंता ले मन में 
 रहते हो तुम सहमे सहमे
 बचा हुआ है जितना जीवन 
 क्यों न खुशी से फिर जिए हम 
 हंसकर गाकर वक्त गुजारें,
 बन कर तोता मैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 20 अगस्त 2023

मेरा देश

अलगअलग भाषाएं सब की अलग सभीके भेष हैं 
लेकिन सब के सब मिल करके ,देते प्रेम संदेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब में भाईचारा है 
सर पर मुकुट हिमालय का है बहती गंगा धारा है 
तीन तरफ सागर की लहरें करती जलअभिषेक है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

रामेश्वर जगदीश द्वारका बद्री धाम हैं चार यहां 
महाकाल है विश्वनाथ है ज्योतिर्लिंग केदार यहां
धोने पाप सभी गंगा में ,हरिद्वार ऋषिकेश है 
यह मेरा देश है,यह भारत देश है 

यह धरती राणाप्रताप की,वीर शिवा की, गांधी की 
जिनने सबने बीन बजाई ,भारत की आजादी की 
बुद्ध और महावीर ने दिया ,शांति का संदेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

यहां अजंता एलोरा है ,ताजमहल, नालंदा है 
होली और दीवाली उत्सव बड़े प्रेम से मनता है 
तीन देव रक्षा करते हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

ज्ञान और विज्ञान यहां पर सदियों से ही उन्नत है 
सोने की चिड़िया कहलाता ,देश हमारा भारत है 
राम कृष्ण अवतरित हुए थे उनकी कृपा विशेष है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
एक नारी सब पर भारी 

महिलाएं सब पर पड़ती भारी है 
पुरुष सब कुछ सहता है ,लाचारी है 
सब चीज पर जताती है अपना अधिकार 
कब्जा किए हैं सब तिथि और त्योहार 
पहली तिथि गुड़ी पड़वा 
तो दूसरी तिथि भाई दूज है 
दोनों में ही इनकी होती पूछ है
तीसरी तिथि तीज पर इनका एकाधिकार है 
सजती संवरती है,करती सोलह सिंगार है 
चौथी चौथ, चारों चौथों पर व्रत रखती है 
और रात को चांद का दीदार करती है 
पांचवी तिथी बसंत पंचमी 
और छठी को छठ है मनाना 
सप्तमी को शीतला सप्तमी ,
खिलाती है ठंडा खाना 
अष्टमी को होईअष्टमी रखती है 
दुर्गा नवमी को अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती है दशमी को विजयादशमी बनाती है 
एकादशी को तुलसी का विवाह कराती है 
द्वादशी को बछ बारस 
और धनतेरस को बरसता है धन 
चौदस को रूप की चौदस
और अमावस को होता है लक्ष्मी का पूजन महिलाओं का वर्चस्व होता है हर दिन पर 
मर्द विचारा काम में जुटा रहता है महीना भर 
इन को खुश करने के लिए कमाता है 
कभी जेवर दिलाता है 
कभी घेवर खिलाता है 
कभी उनको करवा पिलाता है 
यह रानी कहलाती है 
वह नौकर कहलाता है 
पत्नी हमेशा रहती है तनी
और पति पर सदा विपत्ति रहती है भारी
पुरुष सब कुछ सहता है क्योंकि है लाचारी
एक नारी ,सब पर भारी

मदन मोहन बाहेती घोटू
देखो यह बात ठीक नहीं

तुम वधू हो मैं तुम्हारा वर
तुम्हें भेंट करता हूं जेवर 
तुम्हें खिलाता लाकर घेवर 
पर तुम दिखलाती हो तेवर 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं हूं घर वाला तुम्हारा 
नाचूं जब तुम करो इशारा 
हरदम रखना ख्याल तुम्हारा 
पर तुम नहीं डालती चारा 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं तुम्हारा प्रेमी अच्छा 
तुम्हें प्यार करता हूं सच्चा 
देता उपहारों का लच्छा 
पर तुम हरदम देती गच्चा 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं तुम्हारा पति परमेश्वर 
करता तुम पर जान निछावर 
तुम्हें चाहता दिल से डियर 
तुम तरसाती रहती हो पर 

देखो यह बात ठीक नहीं

मैं तुम्हारा सच्चा आशिक 
इतने वर्षों रहा साथ टिक 
गया प्रेम में तुम्हारे बिक
और तुम करती रहती चिक चिक

 देखो यह बात ठीक नहीं
 
 मैं तो हूं तुम्हारा स्वामी 
 पर नौकर बन करूं गुलामी 
 हर एक बात पर भरता हामी 
 लेकिन तुम करती मनमानी
 
देखो यह बात ठीक नहीं

मदन मोहन बाहेती घोटू 
आया गणपति का त्योंहार, मनाओ उत्सव रे
आज बप्पा आए हैं मेरे द्वार, मनाओ उत्सव रे 

गणपति बप्पा मोरया,बार बार तू जल्दी आ

जय गणेश गणपति गजानन 
करूं आपका, मैं आराधन 
तुम सुत महादेव के प्यारे 
प्रथम पूज्य तुम देव हमारे 
एक दंत और कर्ण विशाला 
अरुण कुसुम की धारे माला
कर में कमल ,माथ पर चंदन 
भव्य रूप ,गौरी के नंदन 
तुम्हारे प्रति सबके मन मे , श्रद्धाभाव अपार, मनाओ उत्सव रे
आज बप्पा आए हैं मेरे द्वार मनाओ उत्सव रे

गणपति बप्पा मोरया, बार बार तू जल्दी आ 

तुम हो रिद्धि सिद्धि के दाता
हम सबके तुम बुद्धि प्रदाता
लाभ और शुभ, पुत्र तुम्हारे
हरते सबके संकट सारे
जब हो घर में कुछ आयोजन
देते तुमको प्रथम निमंत्रण
मिलता आशीर्वाद तुम्हारा
काम विघ्न बिन होता सारा
आशीर्वादों की वर्षा से, करते हो उपकार, मनाओ उत्सव रे
आज बप्पा आए हैं मेरे द्वार मनाओ उत्सव रे

 गणपति बप्पा मोरया बार बार तू जल्दी आ
 
लक्ष्मी साथ तुम्हारा पूजन 
दिवाली पर करें सभी जन 
सरस्वती संग साथ तुम्हारा 
सबको ही लगता है प्यारा 
दो देवी को बुद्धि बल से 
तुमने साध रखा कौशल से 
बना  संतुलन रखो विनायक 
महाकाय ,पर वाहन मूषक 
सूझ बूझ है बड़ी विलक्षण ,वंदन बारंबार मनाओ उत्सव रे
आज बप्पा आए हैं मेरे द्वार, मनाओ उत्सव रे

गणपति बप्पा मोरया बार बार तू जल्दी आ 


मदन मोहन बाहेती घोटू 
जय जय शंकर भोले नाथ
जय जय शंभू भोले नाथ
हे त्रिपुरारी, कृपा तुम्हारी, बनी रहे दिन रात  
जय जय शंकर भोले नाथ
जय जय शंभू भोलेनाथ 

हर कोई बोले, बम बम भोले
प्रेम से बोले, बम बम भोले

हे शंकर, बाघाम्बर धारी 
करूं आपकी पूजा न्यारी
दूध दही घी शहद शर्करा
गंगाजल से पात्र है भरा
बिलपत्तर और भांग की बूटी
अभिषेक की रीति अनूठी
अर्पित करूं पुष्प की माला और नमाऊं माथ
जय जय शंकर भोले नाथ
जय जय शंभू भोले नाथ

हर कोई बोले, बम बम भोले
प्रेम से बोले, बम बम भोले 

हे कैलाशी, काशी वासी
हे शंभू तुम हो अविनाशी
सर्प गले ,सर चंदा सजता 
डम डम डम डम डमरू बजता 
महिमा है तुम्हारी न्यारी
नंदी पर तुम करो सवारी 
डूबे रहते सदा ध्यान मे और त्रिशूल है साथ 
जय जय शंकर भोले नाथ 
जय जय शंभू भोले नाथ 

हर कोई बोले, बम बम भोले
प्रेम से बोले, बम बम भोले

आदिदेव तुम महादेव हो
सब देवों के तुम्ही देव हो
रमी भभूति तन सब अंगा
सर पर जटा, निकलती गंगा
तुम्हे पूजती दुनिया सारी
प्रभु तुम हो भोले भंडारी 
देने आशीर्वाद हमेशा, उठे तुम्हारा हाथ 
जय जय शंकर भोले नाथ
जय जय शंभू भोलेनाथ 

हर कोई बोले, बम बम भोले
प्रेम से बोले,बम बम भोले 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 17 अगस्त 2023

बातचीत 

तुम भी चुप 
मैं भी चुप 
घर में चारों तरफ मौन है पसरा 
चलो इस सन्नाटे को हटाए जरा 
अपना अपना मुंह खोलें 
तुम भी कुछ बोलो, हम भी कुछ बोले 
कुछ बात करें 
वार्तालाप करें 
थोड़ा हंसे मुस्कुराए 
या चलो किसी की बुराइयां करके 
ही बात को आगे बढ़ाएं 
निंदा रस में भी बड़ा मजा आता है 
वक्त कट जाता है 
इसी बहाने कुछ हंसते बोलते हैं 
या चलो यूं करते हैं अलमारी खोलते हैं 
पुराने कपड़ों की सलवटो में सिमटी हुई यादें
 वह क्षण उन्मादे 
 बहुत कुछ याद आएगा 
 इसी बहाने बातों का सिलसिला चालू हो जाएगा चलो याद करते हैं प्रथम मिलन की रात 
 तुम बैठी थी चुपचाप 
 मैंने ही की थी बातचीत की शुरुआत 
 मैंने जब तुम्हारा घूंघट उठाया था 
 तुम्हें अपने सीने से लगाया था 
 कितने हसीन थे वो जवानी के पल 
 देखते ही देखते वक्त गया निकल 
 और फिर जब फंसे गृहस्थी के बीच 
 शुरू हो गई थी हमारी रोज की किचकिच 
 बात बात पर लड़ाई और झगड़ा 
 हमेशा दोष मुझे पर ही जाता था मढ़ा
 अच्छा यह बदलाओ
 पिछली बार जब हुई थी लड़ाई हमारी
 गलती मेरी थी या तुम्हारी 
 वह तो मैं कह दिया था सारी 
 वरना तुमने तो बना दिया था बात का बतंगड़ बिना बात की मेरे ऊपर गई थी चढ़ 
बस की रहने दो तुम कौन से दूध के धुले हो 
सारा दोष मुझे पर लगाने पर तुले हो 
जब देखो मुझ में कमियां निकालते रहते हो गलतफहमियां पालते रहते हो 
वह तो मैं ही सीधीसादी मिल गई 
जो तुम्हें झेलती रहती हूं इतना ज्यादा 
और कोई नकचढ़ी मिल जाती 
तो आटे दाल का भाव पता पड़ जाता 
मैं ही हूं जो पिछले इतने सालों से 
निभा रही हूं तुमसे और तुम्हारे घर वालों से 
रहने दो, रहने दो ,
मैं ही हूं जो मुसीबत से खेल रहा हूं
 इतने सालों से तुम्हें झेल रहा हूं 
 घर में शांति रहे इसलिए 
 रहता हूं तुम्हारे आगे घुटने टेक 
वर्ना तुम तो मेरी हर बात में 
 निकालती रहती हो मीन मेख 
 रहने दो ,रहने दो बात मत बढ़ाओ 
 राई का पर्वत मत बनाओ 
 गलत तुम होते हो 
 नहीं, गलत तुम होती हो 
 तुम 
 नहीं तुम 
 मेरे नसीब फूटे थे जो तुम पड़े मेरे गले 
 तुम्हें बात करनी थी इसलिए मैं करने लगी 
 वरना तो इससे हम मौन ही थे भले
 फिर से वही चुप्पी 
 तुम भी चुप 
 हम भी चुप
 फिर वही सन्नाटा
 बस इसी तरह की नोकझौंक में
 जीवन जाता है काटा

मदन मोहन बाहेती घोटू 
सांत्वना

प्रिया 
तुमने दिन भर काम किया 
थक गई होगी 
आओ तुम्हारे पांव दबा दूं 
सर दर्द हो रहा होगा 
बाम लगाकर तुम्हारा सर सहला दूं 
थोड़ा सा लेट जाओ 
कुछ देर सुस्तालो 
जरूरत हो तो पेन किलर की गोली खा लो 
अरे कुछ नहीं जी 
यह तो रोज-रोज का काम है 
उमर हो गई है इसीलिए 
आ जाती थोड़ी थकान है 
क्या करूं काम में इतना व्यस्त रही 
कि तुम्हारा ध्यान भी नहीं रख पाई 
दिनभर कितनी ही बार तुमने पुकारा 
पर मैं ना आई 
तुमने ले तो ली थी ना टाइम पर दवाई 
पर जब कभी-कभी आ जाते हैं मेहमान 
तो रखना पड़ता है उनका ध्यान 
तुम भी कितना सहयोग करते हो 
सभी का पूरा ध्यान रखते हो 
आजकल कौन किसके यहां जाता है 
जहां प्यार मिलता है वही तो कोई आता है 
सब आते हैं तो यह सूना घर 
चहल पहल से जाता है भर
रौनक छा जाती है वीराने में 
त्यौहार का मजा ही है मिलकर के मनाने में 
रिश्ते बंधे रहते हैं टूटते नहीं है 
यह प्यार के बंधन हैं, छूटते नहीं है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
निठल्ले मत बनना 

तुम्हारा उपहास करें सब,इतने झल्ले मत बनना 
कुछ ना कुछ करते ही रहना,कभी निठल्ले मत बनना 
हुए रिटायर नहीं जरूरी, काम धाम करना छोड़ो 
योगा और व्यायाम करो तुम ,थोड़ा भागो और दौड़ो 
सुबह दूध सब्जी ले आओ ,पोते पोती टहलाओ 
यार दोस्तों संग मस्ती कर अपने मन को बहलाओ 
हिलते डुलते नहीं अंग तो जंग उन्हे लग जाती है 
चलना फिरना दूभर होता, ऐसी मुश्किल आती है 
यूं ही रहोगे बैठे ठाले ,तो तबीयत भी ऊबेगी 
डूबे रहे यूं ही आलस में ,तो फिर लुटिया डूबेगी 
दिन भर बैठे खाओगे तो यूं ही फूलते जाओगे निष्क्रिय बदन हो जाएगा,गोबरगणेश कहलाओगे 
कामकाज जो ना करते , तो बीबी ताने देती है दिन भर पलंग तोड़ते रहते, तुम्हें उलहाने देती है आलस में डूबे रहने से तन पर मोटापा चढ़ता है 
 रहेआदमी चलता फिरता तो ज्यादा दिन चलता है 
बिना काम के पड़े पड़े तुम, यूं ही मोटल्ले मत बनना 
कुछ ना कुछ करते ही रहना, कभी निठल्ले मत बनना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 7 अगस्त 2023

जमाना कैसा आया रे 

रोटी पो पो आंखें फूटी ,यह कहती थी दादी 
और रसोई में अम्मा ने भी सारी उम्र बिता दी 
किंतु आज की महिलाओं को है पूरी आजादी स्विगी टेलीफोन किया, मनचाही चीज मंगा दी 
या फिर होटल में जाकर के खाना खाया रे जमाना कैसा होता था, जमाना कैसा आया रे

बड़ी सादगी से रहते थे ,बूढ़े बड़े हमारे 
गर्मी पड़ती,खुली हवा में छत पर सोते सारे लालटेन घर रोशन करती, ना बिजली पंखा रे
अब तो हर कमरे में पंखा और ऐसी चलता रे प्रगति में जीवन कितना आसान बनाया रे 
जमाना कैसा होता था ,जमाना कैसा आया रे

जीवन की शैली मे देखो आया कितना अंतर 
पहले कुए का पानी था ,अब बोतल में वाटर लकड़ी से चूल्हा जलता था अब है गैस का बर्नर 
पहले खाते थे हम मठरी,अब खाते हैं बर्गर खानपान में अब कितना परिवर्तन आया रे 
जमाना कैसा होता था, जमाना कैसा आया रे

 पहले चिट्ठी पत्री होती, रोज डाकिया लाता टेलीग्राम कभी आता तो सारा घर घबराता टेलीफोन अगर हो घर में स्टेटस कहलाता 
अब तो घर-घर ,सबके हाथों मोबाइल लहराता 
साथ बात के, फोटो भी सबका दिखलाया रे जमाना कैसा होता था जमाना कैसा आया रे

मिट्टी वाले घर होते थे पुते हुऐ गोबर में 
सात आठ बच्चे होते थे रौनक रहती घर में 
तड़क भड़क से दूर ,सादगी रहती जीवन भर में 
पास पड़ोसी सदा साथ थे सुख दुख के अवसर में 
फ्लैट संस्कृती ने शहरों की,सभी भुलाया रे
जमाना कैसे होता था, जमाना कैसा आया रे

न तो कार ना स्कूटर थी ,पैदल आना जाना 
एक थाली में दाल और रोटी बड़े प्रेम से खाना छोटी एक बजरिया जिसमे सब कुछ था मिल जाना
आसपास थे पेड़ ,तोड़कर आम और जामुन खाना 
माल संस्कृति ने सबका ही किया सफाया रे जमाना कैसा होता था, जमाना कैसा आया रे 

नहीं रहे अब प्रेम पत्र वह खुशबू वाले प्यारे 
मोती जैसे हर अक्षर को जाता था चूमा रे 
अब तो चैटिंग डेटिंग होती, संग करते घूमा रे
घूंघट उठा, देखना चेहरा , ये थ्रिल नहीं बचा रे शादी पहले लिव इन ने भट्टा बैठाया रे 
जमाना कैसा होता था, जमाना कैसा आया रे

मदन मोहन बाहेती घोटू 
बढ़ती उम्र 

बढ़ने लगती है उमर ,बुढ़ापा जब पीछे पड़ जाता है 
तन में तनाव जब घट जाता,मन में तनाव बढ़ जाता है

जब पूंजी जमा जवानी की , हाथों से खिसकने लगती है 
मंदिम होती मन की सरगम और सांस सिसकने लगती है 
हरदम उछाल लेने वाला ,दिल ठंडी सांसे भरता है 
इंसान परेशान हो जाता ,घुट घुट कर जीता मरता है 
रह रह कर उसे सताता है, ऐसा बुखार चढ़ जाता है 
बढ़ने लगती है उमर ,बुढ़ापा जब पीछे पड़ जाता है 

कृषकाय आदमी हो जाता, धीरज भी देता साथ नहीं 
जो कभी जवानी में होती ,रह जाती है वह बात नहीं 
महसूस किया करता अक्सर है वह अपने को ठगा ठगा 
विचलित रहता, ना रख सकता, वह किसी काम में ध्यान लगा 
बढ़ जाती शकर रक्त में है, ब्लड प्रेशर भी चढ़ जाता है 
बढ़ने लगती है उमर बुढ़ापा जब पीछे पड़ जाता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
तेरी छुअन 

तूने मुझको छुआ ऐसे 
आने लगे प्रेम संदेशे
जब भी तू मुझको छूती है ,सिहरन होती तन में 
पता नहीं क्या हो जाता पर कुछ कुछ होता मन में 
वातावरण महक जाता है फूल खिले हो जैसे 
तूने मुझको छुआ ऐसे 
आने लगे प्रेम संदेशे 
एक शिला का पत्थर था मैं, तूने मुझे तराशा 
गढ़ दी मूरत, लगी बोलने ,मधुर प्रेम की भाषा लगता है जीवंत हो गया प्यार हमारा जैसे 
तूने मुझको छुआ ऐसे 
आने लगे प्रेम संदेशे 
मैं था बीज, धरा बन तूने ,है इसको पनपाया 
तेरी देख रेख में ही मैं आज वृक्ष बन पाया 
वरना पुष्पित और पल्लवित मैं हो पाता कैसे 
तूने मुझको छुआ ऐसे 
आने लगे प्रेम संदेशे 
तेरे प्रति मेरी दीवानगी ,दिन दिन बढ़ती जाती 
मन में तू छाई रहती है ,मुझे नींद ना आती 
तुझ को लेकर ख्वाब बुना करता मैं कैसे-कैसे 
तूने मुझको छुआ ऐसे 
आने लगे प्रेम संदेशे 
जब से तुम मेरे जीवन में आई दिल के पास  
तुमने बदल दिया मेरा भूगोल और इतिहास 
बदल गए हालात रहे ना पहले जैसे 
तूने मुझको छुआ ऐसे
आने लगे प्रेम संदेशे 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
दिल्ली 6 का खाना

स्वाद के मारे सब प्यारों का स्वागत करती देहली है 
दिल्ली 6 के खान-पान की शान बहुत अलबेली है

सबको बना दिया दीवाना है इसके पकवानों ने मुंह पानी भरती चाटों ने ,मिठाई की दुकानों ने प्यारी है रसभरी जलेबी सबके मन को ललचाती 
घंटे वाले सोहन हलवे की याद बहुत है तड़फाती खुरचन ,बाजार किनारी की,है चीज सभी के चाहत की 
जगह-जगह सर्दी में मिलती, चाट सुहानी दौलत की 
गली-गली में बहुत चाट के दोने जाते चाटे है
गली पराठे वाली के ,कितने मशहूर पराठें हैं 
स्वाद कंवरजी दाल मोठ और अमृत भरी इमरती है 
नटराज के भल्ले आलू टिक्की सबको भाया करती है 
नागोरी पूरी और हलवा ,गरम बेडमी स्वाद भरी और मटर कुल्चों के ठेलों पर रहती है भीड़ बड़ी खस्ता और आलू की सब्जी, छोले और भटूरे हैं कांजी बड़े नहीं खाए तो सारे स्वाद अधूरे हैं 
हलवा करांची चेनामल का ,इसकी अपनी रंगत है ज्ञानी ,रबड़ी और फ़लूदा,खाना सब की चाहत है खान-पान से दिल्ली 6 का, बड़ा पुराना नाता है पेट भले ही भर जाता मन लेकिन न भर पाता है नाम पुरानी दिल्ली ,लगती हरदम नयी नवेली है दिल्ली 6 के खानपान की शान बहुत अलबेली है

मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 6 अगस्त 2023

अच्छा आदमी 

जिंदगी अपनी गुजारो प्यार से,
 रहो बनके एक सच्चा आदमी 
 जियो ऐसे ,जाओ तो दुनिया कहे,
 जा रहा है एक अच्छा आदमी 
 
मोहब्बत जिसने लुटाई हर तरफ
और सब में प्यार बांटा, प्यार से 
बांटने सुख-दुख उठाई मुश्किलें,
आज वह उठ जा रहा संसार से 
मित्रों संग लंबा निभाना साथ था,
जा रहा है दे के गच्चा आदमी 
जियो ऐसे ,जाओ तो दुनिया कहे,
 जा रहा है एक अच्छा आदमी 
 
वह बड़ा ही था भला और नेक था,
मन में थी सब के प्रति सद्भावना 
सदा उसके चेहरे पर मुस्कान थी 
करता था सबके भले की कामना 
सादगी से रहा पूरी उम्र भर ,
दिल का था पर थोड़ा कच्चा आदमी 
जियो ऐसे ,जाओ तो दुनिया कहे 
जा रहा है एक अच्छा आदमी 

रहा करता हमेशा सत्कर्म वो 
देखता भगवान हर इंसान में 
करता था उत्साहवर्धन सभी का,
आस्था रखता सदा ईमान में 
सभी पर उपकार वह करता रहा ,
भला था जैसे कि बच्चा आदमी 
जियो ऐसे ,जाओ तो दुनिया कहे 
जा रहा है एक अच्छा आदमी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
दल की दलदल

मिल गए कई दल, दल दल में, अस्तित्व मगर अपना अपना 
मोदी को हटाए सत्ता से, मन में बस यही लिए सपना
पोषित हैं परिवारवाद से सब ,कहते खुद को समाजवादी 
 कुछ छूटे हुए जमानत पर ,कुछ सजायाफ्ता अपराधी 
 नौ वर्षों से न कमाई कुछ, ना कोई कमीशन, रिश्वत है
सब काली पूंजी स्वाह हुई ,नोटबंदी लाइ मुसीबत है 
सूखे सब श्रोत कमाई के ,बदहाली ही है बदहाली 
इस आशा से मिल रहे कि फिर, धन बरसे, छाए खुशहाली 
 पुश्तों के लिए जमा सब धन ,धीरे-धीरे बहता जाता 
कुर्सी से दर्द जुदाई का ,अब इनसे सहा नहीं जाता 
इनने सत्ता सुख भोग लिया ,कोशिश यही है अब केवल 
इस राजनीति में, बच्चों को ,जैसे तैसे कर दे सेटल 
कोशिश कर रहे सब मिलकर ,कट जाए मोदी का पत्ता 
इनको फिर कुर्सी मिल जाए और हथियालें फिर से सत्ता 
चल रही मगर एक खींचतानी ,सब चाहे पंत प्रधान बने 
एक दूजे को देते गाली पर दोस्त बने अब सभी जने 
पर हवा चल रही मोदी की, ये बादल होंगे तितर बितर 
कोरस गाते मजबूरी में ,लेकिन मिलते ना इनके स्वर 
सबकी अपनी अपनी ढपली, और राग अलापे सब अपना 
 चौबिस में मोदी आएगा और टूटेगा इनका सपना

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जीवन डगर 

जीवन की डगर, है नहीं सरल, मुश्किल आती कैसी कैसी 
तुम में यदि हिम्मत, जज्बा है ,हर मुश्किल की एैसी तैसी 

जो हार हौसला जाते हैं ,और डर जाते बाधाओं से 
जो कंकर ,पत्थर, कांटों को ,पाते ना हटा निज राहों से 
उनको मंजिल ना मिल पाती, रहती हालत वैसी वैसी 
तुममें यदि हिम्मत ,जज्बा है ,हर मुश्किल की ऐसी तैसी 

होते हो अगर अग्रसर तुम ,जीवन में प्रगति के पथ पर 
दस दुश्मन नजर गढाएं हैं ,रखना होता पग संभल संभल 
तुमको सबसे टकराना है ,छाती हो फौलादी जैसी 
तुमने यदि हिम्मत ,जज्बा है ,हर मुश्किल की ऐसी तैसी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
सच्चा सुख 

ना तो हीरे मोती में है ,ना ही चांदी और सोने में 
सच्चा सुख मिलता, पग पसार, अपने बिस्तर पर सोने में 

चाहे वो कितने थके पके, सारी थकान मिट जाती है 
अपने पलंग पर जब लेटो, तो नींद चैन की आती है 
सब परेशानियां भग जाती , मिटते जीवन के सन्नाटे 
निद्रा देवी की गोदी में ,जब आने लगते खर्राटे 
मन में शांति छा जाती है ,क्या रखा रोने धोने में 
सच्चा सुख मिलता पग पसार,अपने बिस्तर पर सोने में

भरपेट अगर भोजन कर लो , तो तन अलसाने लगता है 
पलके मुंदती,थोड़ा सरूर ,आंखों में छाने लगता है 
हो तकिया नरम सिरहाने में ,चलता हो पंखा या ऐ सी 
तुम स्वप्नलोक में उड़ते हो ,फिर दुनिया की ऐसी तैसी 
वह मजा और ही होता है, मीठे सपनों में खोने में 
सच्चा सुख मिलता पग पसार,अपने बिस्तर पर सोने में

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जो होना है जो होना है 

सुख दुख आते जाते रहते क्या हंसना क्या रोना है 
सब चलता है हरि इच्छा से,जो होना है सो होना है 

अच्छा कभी,कभी दुखदायक, पल-पल भाग्य बदलता है 
जैसा लिखा काल का क्रम है, वैसा ही सब चलता है 
नियति आगे नाचा करता ,मानव बस एक खिलौना है 
सब चलता है हरि इच्छा से,जो होना है सो होना है 

लेकिन यदि हो जो पुरुषार्थ , तुम सकते हो तकदीर बदल 
सत्कर्म करो तो किस्मत की ,जाती है सभी लकीर बदल 
बस थोड़ी हिम्मत रखनी है और धीरज को ना खोना है 
सब चलता है हरि इच्छा से ,जो होना है सो होना है 

मन में थोड़ा विश्वास रखो ,घबराओ मत तुम शांत रहो 
नित नई समस्या आएगी ,उनसे मत तुम आक्रांत रहो 
अपने बूते ,अपने बल से ,तुमको तकदीर संजोना है 
सब चलता है हरि इच्छा से ,जो होना है सो होना है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 23 जुलाई 2023

मन की पीर 

जब नींद रात को ना आती 
हम सोते करवट बदल बदल 
बेचैन हुए लेटे रहते 
हैं कभी इधर तो कभी उधर 
इतना छाता एकाकीपन 
सपने भी तो आते है कम 
क्योंकि इतनी ना उमर बची,
उनको पूरा कर पाएं हम 
 दिल लगे पहाड़ों से लंबे 
 मुश्किल से ही कट पाते 
 घबराहट प्रकट नहीं करते,
 हम फिर भी रहते मुस्काते 
 लेकिन इन मुस्कानों पीछे
 है दर्द न दिखता अंदर का 
 लगता विशाल, पी ना पाते 
 खारा जल भरा समुंदर का 
 मन की पीड़ायें छुपी हुई 
 लेने लगती जब अंगड़ाई 
रह रह कर याद हमे आती,
कुछ अपनों की ही रुसवाई 
नयनों में बस जाता सावन 
और झर झर आंसू झरते हैं 
बस इन्हीं परिस्थितियों में हम 
नित जीते हैं ,नित मरते है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जीवन व्यापन 


उमर हमारी ज्यों ज्यों बढ़ती
वैसे जीवन अवधि घटती 
यह अटल नियम है प्रकृति का,
पकती है फसल, तभी कटती 
बचपन , यौवन,वृद्धावस्था 
ये ही तो है जीवन का क्रम 
हंसते गाते, सुख में, दुख में,
जैसे तैसे कटता जीवन 

यह नहीं कदापि आवश्यक 
जीवन पथ कंटक हीन रहे 
बाधाएं सब को ही मिलती,
 कितना ही कोई प्रवीण रहे 
 हो राह अगर जो कंकरीली 
 चलते हैं तो चुभते पत्थर 
 हो राह अगर कीचड़ वाली,
 बढ़ते हैं पांव मगर धस कर 
 चलना पड़ता है संभल संभल 
 लड़ना है मुश्किल से हर क्षण 
 हंसते गाते, सुख में, दुख में 
 जैसे तैसे कटता जीवन 
 
कुछ लोग मौज काटा करते,
 डूबे रहते हैं मस्ती में 
 कुछ की कट जाती उम्र यूं ही 
 उलझे रह करके गृहस्थी में 
 अपना अस्तित्व बचाने को 
 करना पड़ती है मार काट 
 चाहे अनचाहे तत्वों से 
 करनी पड़ती है सांठगांठ 
 रहना पड़ता संघर्षशील ,
  है सरल नहीं जीवन व्यापन 
  हंसते गाते ,सुख में ,दुख में 
  जैसे तैसे कटता जीवन 
  
है प्यार कभी, तकरार कभी 
इंकार कभी , इकरार कभी
तुम बूढ़े हुए ,बदल जाता 
अपनों का भी व्यवहार कभी 
अपने-अपने सब कामों में 
हो जाते अपने सभी व्यस्त 
और तरह तरह के रोग हमें 
करने लगते हैं बहुत त्रस्त
जर्जर होता चंदन सा तन 
और पल-पल विव्हल होता मन 
हंसते गाते ,सुख में ,दुख में ,
जैसे तैसे कटता जीवन

मदन मोहन बाहेती घोटू 
बदनसीबी 

जिससे करी थी हमने मोहब्बत थी बेपनाह 
उस बेमुरव्वत में हमें लेकिन किया तबाह 
हमराह मिली ऐसी की गुमराह कर दिया ,
कर नहीं पाई  संग हमारे जरा निभाह
दो-चार दिन में ही हमें गुलाम कर दिया 
मां-बाप को हमारे है गुमनाम कर दिया

घोटू 
पति की फरमाइश 

खातिर में साले साहब की जुटती हो जिस तरह,
हम पर भी मेहरबानी कुछ दिखला दिया करो

करती हो तुम दामाद की जितनी आवाभगत पकवान थोड़े हमको भी चखवा दिया करो 

बच्चों पर लुटाती हो जैसे लाड प्यार तुम ,
हम पर भी इनायत कभी फरमा दिया करो 

हम भी तुम्हारे शौहर हैं,कोई गैर तो नहीं ,
थोड़ी तवज्जो हम पर भी बरसा दिया करो

मदन मोहन बाहेती घोटू
पसंद अपनी अपनी ,ख्याल अपना-अपना 

मैं पत्नी से बोला तुम लगती अच्छी हो 
भोली भाली सीधी और मन की सच्ची हो  
तुम्हारा चेहरा खिलता हुआ गुलाब है 
तुम्हारे होठों में सबसे महंगी शराब है 
तुम्हारी चंचल आंखें बिजलियां गिराती है 
तुम्हारे गालों की रंगत मदमाती है 
तुम्हारी मुस्कान ,प्यार की परिभाषा है 
तुम्हारे शरीर को भगवान ने खुद तराशा है 
तुम्हारी चाल में हिरणी सी चपलता है 
तुम्हारी हर बात में अमृत बरसता है 
तुम कनक की छड़ी हो लेकिन कोमल हो 
तुम सुंदर अति सुंदर और चंचल हो 
तुम्हारा प्यार अनमोल है हीरे जैसा 
अब तुम मुझे बता दो मैं तुम्हें लगता हूं कैसा 
पत्नी बोली कि बतलाऊं मैं सच सच 
तुम बड़े प्यारे हो *आई लव यू वेरी मच *
तुम गोलगप्पे की तरह स्वाद से भरे हो 
तुम मन को ललचाते ,स्वादिष्ट दही बड़े हो 
पापड़ी चाट की तरह चटपटे और स्वाद हो 
मुंबई की भेलपूरी की तरह लाजवाब हो 
आलू टिक्की की तरह कुरकुरे और लजीज हो पाव भाजी की तरह मनभाती  चीज हो 
प्यार से भरा हुआ गरम गरम समोसा हो 
मन को सुहाता हुआ इडली और डोसा हो
मुझे ऐसे भाते हो जैसे बारिश में पकोड़े 
जलेबी से रस भरे पर टेढ़ेमेढ़े हो थोड़े 
रसगुल्ले गुलाबजामुन से मीठे और रसीले हो 
मूंग दाल हलवे की तरह पर थोड़े ढीले हो
रसीली इमरती की तरह सुंदर बल खाते हो 
आइसक्रीम की तरह जल्दी पिघल जाते हो राजस्थान का प्यार भरा दाल बाटी चूरमा हो 
मैं तुम्हें बहुत चाहती हूं तुम मेरे सूरमा हो 
अब आप समझ ही गए होंगे अपनी चाहत 
अलग अलग तरीके से प्रकट करते हैं सब 
अपने ढंग से अपना प्यार बतलाता है हर जना पसंद अपनी अपनी  ,ख्याल अपना अपना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 13 जुलाई 2023

अपना अपना घर 

तुमने अपने मां-बाप का घर,
 जो कि तुम्हें अपना घर लगता था,
 एक दिन छोड़ दिया क्योंकि ,
 तुम्हें मेरे साथ मिलकर 
अपना घर बसाना था
 
हमारे बच्चों ने भी हमारा घर ,
जो कि उनका भी उतना ही अपना था 
शादी के बाद छोड़ दिया क्योंकि 
उन्हें अपने पत्नी के साथ 
अपना घर बसाना था

  ये अपना घर छोड़ने का सिलसिला ,
  सभी के साथ उम्र भर चलता है
  हम अपनापन भूल कर ,
  अपना घर छोड़ देते हैं  
  अलग से अपना घर बसाने को 

कितने ही अपने अक्सर
हो जाते है पराये क्योंकि 
उन्हें अपने ढंग से जीने के लिए,
अपना अलग अस्तित्व बनाना होता है 
  
  हमारा यह शरीर भी तो 
  हमारी आत्मा का अपना ही घर है 
  जिसे  एक दिन किसी और शरीर में
  अपना घर बसाने को,
अपना घर छोड़ कर जाना होता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 


प्रार्थना 

जीर्णशीर्ण तन हुआ दिनोंदिन, बढी उम्र के साथ 
कई व्याधियों ने आ घेरा ,मचा रही उत्पात 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

हरा-भरा मैं एक वृक्ष था, घना ,मनोहर, प्यारा 
कई टहनियां, कोमल पत्ते, लदा फलों से सारा 
नीड़ बनाकर पंछी रहते, चहका करते दिनभर और गर्मी की तेज धूप में ,छाया देता शीतल लेकिन ऐसा पतझड़ आया ,पीले पड़ गए पात बहुत ही बिगड़ रहे  हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

तने तने से सुंदर तन से ,गायब हुई लुनाई 
चिकने चिकने से गालों पर आज झुर्रियां छाई ढीले ढाले अंग पड़ गए ,रही नहीं तंदुरुस्ती 
यौवन वाला जोश ढल गया, ना फुर्ती ना चुस्ती 
कमर झुक गई थोड़ी-थोड़ी थके पांव और हाथ 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

डॉक्टर कहते शुगर बढ़ गई ,किडनी करे न काम 
खानपान में मेरे लग गई ,पाबंदियां तमाम 
बढ़ा हुआ रहता ब्लडप्रेशर दिल का फंक्शन ढीला 
लीवर में भी कुछ गड़बड़ है, चेहरा पड़ गया पीला 
आंखों से धुंधला दिखता है ,पीड़ा देते दांत 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

मोह माया में फंसा हुआ मन, चाहे लंबा जीना मौज और मस्ती खूब उड़ाना ,अच्छा खाना-पीना 
सच्चे दिल से करूं प्रार्थना तुमसे मैं भगवान 
ऐसी संजीवनी पिला दो ,फिर से बनूं जवान सवामनी परशाद चढ़ाऊं ,मैं श्रद्धा के साथ 
बहुत ही बदल रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 10 जुलाई 2023

हम ,घड़ी के दो कांटे

मैं और मेरी पत्नी 
मैं घड़ी के छोटे कांटे जैसा, 
और वह घड़ी के बड़े कांटे जितनी 
वह जब चलती है 
बात का बतंगड़ बना देती है 
घड़ी के बड़े कांटे जैसी,
 एक घंटे में पूरी घड़ी का चक्कर लगा लेती है और मैं बड़े आराम से चलता हूं 
वही बात में पांच मिनट की दूरी में 
 कह दिया करता हूं 
 वह कभी चुप नहीं रह सकती 
 और दिन भर टिक टिक है करती 
 मैं एक आदर्श पति की तरह मौन रहता हूं 
 और दिन रात उसकी किच किच सहता हूं 
 फिर भी हम दोनों में है बहुत प्यार
 हम एक घंटे में मिल ही लेते हैं एक बार 
 कभी झगड़ा होता है तो हो जाते हैं आमने सामने 
पर हम दोनों एक दूसरे के लिए ही है बने 
बारह राशियों में बंटे हुए हैं 
 फिर भी एक धुरी पर टिके हुए हैं 
 और यह बात भी सही है 
 एक दूसरे के बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं है

मदन मोहन बाहेती घोटू 


अतुल सुनीता परिणय उत्सव पर 
1
अतुल सुनीता व्याह को, बीते पैंतीस साल 
जोड़ी है अति सुहानी ,सबसे मृदु व्यवहार 
सबसे मृदु व्यवहार ,लुटाते प्रेम सभी पर 
सबसे हंस कर मिलते, देते खुशियां जी भर 
इनके अपनेपन ने सबका हृदय छुआ है 
जियें सैकड़ों साल, हमारी यही दुआ है 
2
कार्यकुशल कर्मठ अतुल ,मनमौजी है मस्त सुनीता है ग्रहणी कुशल ,गुण से भरी समस्त 
गुण से भरी समस्त ,धार्मिक संस्कार है 
पूरे परिवार का इनको सदा ख्याल है 
कार्तिकेय है पुत्र, शिवांगी प्यारी बिटिया 
ईश्वर दे इन सब को दुनिया भर की खुशियां

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जोड़ियां 

भगवान की महिमा अपरंपार है 
उसे जोड़ी बनाने से प्यार है 
उसने जब हमारा शरीर रचा 
तो जोड़ी बनाने का ख्याल रखा 
दो आंखें दी ,जोड़ी से 
दो कान दिए, जोड़ी से 
दो हाथ दिए ,जोड़ी से 
दो पांव दिए ,जोड़ी से 
यही नहीं पति-पत्नी की जोड़ी भी,
भगवान द्वारा ही बनाई जाती है 
जो जीवन भर जुड़ी रहकर साथ निभाती है 
पर कई बार यह बात देखने में आती है 
भगवान द्वारा कभी-कभी बेमेल जोड़ी भी बन जाती है 
पर इनमें कुछ तो समय के साथ हो जाती है एडजस्ट 
मगर कुछ को साथ साथ रहने में होता है कष्ट जब इनमें आपस में नहीं पट पाती है 
तो यह जोड़ियां चटक जाती है 
और जब बढ़ता है वाद-विवाद 
तो फिर कुछ दिनों के बाद 
जब तलाक की नौबत आती है 
तो भगवान की बनाई जोड़ियां भी टूट जाती है वैसे इंसान भी बनाता है कुछ जोड़ी 
जो अकेली नहीं जा सकती है छोड़ी 
जैसे जूते की जोड़ी 
अकेला जूता अपनी किस्मत पर रोता है
किसी नेता पर फेंकने के अलावा,
किसी काम का नहीं होता है
और भी जोड़ियां है जैसे साइकिल या बैलगाड़ी के पहियों की जोड़ी 
अकेली किसी भी काम की नहीं निगोडी
कुछ और भी जोड़ियां है जैसे टेबल टेनिस की बॉल और बेट
बैडमिंटन की शटल कॉक और रैकेट 
ये एक दूसरे के बिना अस्तित्वहीन है 
आप मुझसे सहमत होंगे, मुझे यकीन है 
वैसे कुछ खाने-पीने की जोड़ी भी इंसान बनाता है जब साथ-साथ खाते हैं तो दूना मजा आता है जैसे जलेबी और समोसा 
इडली और डोसा 
जब साथ साथ रहते हैं 
बड़ा स्वाद देते हैं 
जैसे बड़ा और पाव या पाव और भाजी 
अकेले खाकर कौन होता है राजी 
जैसे पानी और पताशा 
जब एक दूसरे में समाते हैं 
तभी जिव्हा को भाते हैं 
जेसे दही और बड़े 
जब जोड़ी में मिलते हैं तभी लगते हैं स्वाद बड़े जैसे चाय और पकौड़ी 
बारिश में साथ मिल जाए तो नहीं जाती है छोड़ी या गर्मी में कुल्फी और फलूदा
अच्छे नहीं लगते जब होते हैं जुदा
जैसे छोला और भटूरा 
एक दूसरे के बिना जिनका स्वाद है अधूरा  
जैसे बिहार की लिट्टी और चोखा 
दोनों मिलकर साथ देते हैं स्वाद अनोखा
तरह तरह की जोड़ियां खाने में मजा आता है 
पर आम आदमी दाल और रोटी की जोड़ी से ही काम चलाता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 8 जुलाई 2023

जब से तुझ से नजर लड़ गई

जब से तुझ से नजर लड़ गई 
सीधे दिल में आई, गढ़ गई 
तू मुस्काई ,मैं मुस्काया ,
धीरे-धीरे बात बढ़ गई 

प्यार हमारा चुपके-चुपके,
पनपा और हो गया विकसित 
एक दूसरे से जब मिलते,
हम दोनों होते रोमांचित 
मनभावन था मिलन हमारा,
और प्रीत परवान चढ़ गई 
जब से तुझ से नजर लड़ गई 
  
हुई लड़ाई जब नयनों में ,
दोस्त बन गए अपने दो दिल
लगी महकने जीवन बगिया,
गई प्यार की कलियां है खिल 
तुझसे मिलने की अकुलाहट ,
बेचैनी दिन-रात बढ़ गई 
जब से तुझ से नजर लड़ गई

घोटू 
मुनासिब नहीं है 

अदाएं दिखाकर बनाना दीवाना 
तरसा के हमको यूं ही बस सताना 
हर एक बात पर फिर बहाना बनाना 
किसी भी तरह से यह वाजिब नहीं है

 कभी रूठ जाना, कभी फिर मनाना 
 अपने इशारों पर हमको नचाना 
 होकर खफा तीखे तेवर दिखाना 
 दिल तोड़ देना ,मुनासिब नहीं है 
 

चोरी छुपे फिर मिलना मिलाना 
कहना हमेशा ,हमे ना ना ना ना 
तड़पता हमें देख कर मुस्कुराना 
उल्फत उसूलों मुताबिक़ नहीं है

कभी प्यार से हमसे नजरें मिलाना
कभी फिर खफा हो के नजरें चुराना 
छोटी सी बातें ,फसाना बनाना 
तुम्हारे तरीके ये वाजिब नहीं है

घोटू 

रविवार, 2 जुलाई 2023

मारा मारी

मैं बेचारा आफत मारा 
हरदम रहा शराफत मारा 
अब हूं बड़ी मुसीबत मारा 
और फिरता हूं मारा मारा 

बचपन में था प्यार का मारा 
सबके लाड दुलार का मारा 
लेकर छड़ी गुरु ने मारा 
थप्पड़ पापा जी ने मारा 

आई जवानी जोश ने मारा 
गुस्सा और आक्रोश ने मारा 
बीवी से तकरार ने मारा 
मुझको शिष्टाचार ने मारा 

नजरों के बाणों से मारा 
कुछ तीखे तानों से मारा 
हुई जुदाई गम ने मारा 
कुछ बदले मौसम ने मारा 

मैं कुर्सी और पद का मारा 
बहुत रौब करता था मारा 
मगर वक्त ने ऐसा मारा 
अब हूं बेकारी का मारा 

करते थे जो मक्खन मारा 
उन्हें अब कर लिया किनारा 
यारों की यारी का मारा 
अब मैं करता हूं झक मारा 

इश्क में बेवफाई ने मारा 
उनकी रुसवाई ने मारा 
थोड़ा तनहाई ने मारा 
बढ़ती महंगाई ने मारा 

कभी हाथ था लंबा मारा 
चौका मारा, छक्का मारा 
तीर कभी तो तुक्का मारा 
पर किस्मत ने मुक्का मारा 

वृद्ध हुआ ,लाचारी मारा
कितनी ही बीमारी मारा 
फिर भी जिम्मेदारी मारा 
रोज की मारा मारी मारा 

मैं बेचारा आफत मारा 
फिरता हूं अब मारा मारा

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 1 जुलाई 2023

ग़ज़ल 

बस्ती में भरे बबूलो की 
तुम चाह कर रहे फूलों की 
ऊपर ,नीचे ,दाएं, बाएं,
हर तरफ चुभन है फूलों की 
झुलसाती लू में करते हो,
आशा सावन के झूलों की
 डिस्को का डांस नहीं होता,
 महफिल में लंगड़े लूलों की 
 जब स्वार्थ सिद्ध हो जाता है,
 चढ़ जाती बली उसूलों की 
 "घोटू" मिल जाती हमें सजा ,
 जीते जी अपनी भूलों की

घोटू 

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