जोड़ियां
भगवान की महिमा अपरंपार है
उसे जोड़ी बनाने से प्यार है
उसने जब हमारा शरीर रचा
तो जोड़ी बनाने का ख्याल रखा
दो आंखें दी ,जोड़ी से
दो कान दिए, जोड़ी से
दो हाथ दिए ,जोड़ी से
दो पांव दिए ,जोड़ी से
यही नहीं पति-पत्नी की जोड़ी भी,
भगवान द्वारा ही बनाई जाती है
जो जीवन भर जुड़ी रहकर साथ निभाती है
पर कई बार यह बात देखने में आती है
भगवान द्वारा कभी-कभी बेमेल जोड़ी भी बन जाती है
पर इनमें कुछ तो समय के साथ हो जाती है एडजस्ट
मगर कुछ को साथ साथ रहने में होता है कष्ट जब इनमें आपस में नहीं पट पाती है
तो यह जोड़ियां चटक जाती है
और जब बढ़ता है वाद-विवाद
तो फिर कुछ दिनों के बाद
जब तलाक की नौबत आती है
तो भगवान की बनाई जोड़ियां भी टूट जाती है वैसे इंसान भी बनाता है कुछ जोड़ी
जो अकेली नहीं जा सकती है छोड़ी
जैसे जूते की जोड़ी
अकेला जूता अपनी किस्मत पर रोता है
किसी नेता पर फेंकने के अलावा,
किसी काम का नहीं होता है
और भी जोड़ियां है जैसे साइकिल या बैलगाड़ी के पहियों की जोड़ी
अकेली किसी भी काम की नहीं निगोडी
कुछ और भी जोड़ियां है जैसे टेबल टेनिस की बॉल और बेट
बैडमिंटन की शटल कॉक और रैकेट
ये एक दूसरे के बिना अस्तित्वहीन है
आप मुझसे सहमत होंगे, मुझे यकीन है
वैसे कुछ खाने-पीने की जोड़ी भी इंसान बनाता है जब साथ-साथ खाते हैं तो दूना मजा आता है जैसे जलेबी और समोसा
इडली और डोसा
जब साथ साथ रहते हैं
बड़ा स्वाद देते हैं
जैसे बड़ा और पाव या पाव और भाजी
अकेले खाकर कौन होता है राजी
जैसे पानी और पताशा
जब एक दूसरे में समाते हैं
तभी जिव्हा को भाते हैं
जेसे दही और बड़े
जब जोड़ी में मिलते हैं तभी लगते हैं स्वाद बड़े जैसे चाय और पकौड़ी
बारिश में साथ मिल जाए तो नहीं जाती है छोड़ी या गर्मी में कुल्फी और फलूदा
अच्छे नहीं लगते जब होते हैं जुदा
जैसे छोला और भटूरा
एक दूसरे के बिना जिनका स्वाद है अधूरा
जैसे बिहार की लिट्टी और चोखा
दोनों मिलकर साथ देते हैं स्वाद अनोखा
तरह तरह की जोड़ियां खाने में मजा आता है
पर आम आदमी दाल और रोटी की जोड़ी से ही काम चलाता है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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