करवा चौथ
देखो आई करवा चौथ,प्यार का पूजन रे
गौरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे
गोरे गोरे हाथों में मेहंदी रचा के
गोरे गोरे तन पर चुनर लहराके
हाथों में खनकती चूड़ियां है खनखन होठों पर लाली है आंखों में अंजन
करेपूरे सोलह श्रृंगार, बने फिर दुल्हन रे
देखो आई करवा चौथ, प्यार का पूजन रे
गोरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे
पिया हेतु व्रत करे,प्यार दिखलाए
रहे भूखी दिन भर, कुछ भी न खाए
रात करे छलनी से चंदा का दरशन
करवे से अमृत पिलाते हैं साजन
रहे अमर हजारों साल प्यार का बंधन रे
देखो आई करवा चौथ,प्यार का पूजन रे
गोरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे
मदन मोहन बाहेती घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।