टेंशन तुम मत लेना
एक बात तुमसे कहता हूं, ध्यान सदा तुम देना
चाहे जो कुछ भी हो जाए ,टेंशन तुम मत लेना
जो बारिश कम, तुम्हें टेंशन
बारिश ज्यादा तो भी टेंशन
गर्मी पड़ती ,नहीं सुहाता
बिजली जाती, टेंशन आता
टेंशन ,आए डेंगू मच्छर
टेंशन, महंगे हुए टमाटर
टेंशन है बढ़ती महंगाई
कुछ ना कुछ होता दुखदाई
खुश होकर के खाओ पियो,
जो भी मिले चबैना
कभी टेंशन तुम मत लेना
एक बात सुन लो मेरे भाई
पत्नी की मत करो बुराई
चला रही है वही गृहस्थी
उसके कारण घर में बस्ती
रखती वह बैलेंस बनाकर
सुख पाओ उसके गुण गाकर
कभी झगड़ना मत पत्नी से
उसे चाहना हरदम जी से
उसकी सब की सब बातों पर
सदा तबाज्जो देना
कभी टेंशन तुम मत लेना
जो होना है सो होना है
तो फिर काहे का रोना है
कब क्या होगा किसने देखा
लिखा हुआ नियति का लेखा
तो फिर क्यों चिंता ले मन में
रहते हो तुम सहमे सहमे
बचा हुआ है जितना जीवन
क्यों न खुशी से फिर जिए हम
हंसकर गाकर वक्त गुजारें,
बन कर तोता मैना
कभी टेंशन तुम मत लेना
मदन मोहन बाहेती घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।